इंदौर. इंदौर का रालामंडल (Ralamandal) अब रात में भी सैलानियों से गुलजार होने जा रहा है. यहां नाइट सफारी (Night safari) शुरू करने की तैयारी है. भोपाल के वन विहार की तर्ज पर इसे विकसित किया जाएगा. इसी के साथ उमरी खेड़ा में इको टूरिज्म पार्क और एडवेंचर पार्क (Tourism And Adventure Park) भी बनाने का प्लान है.
देश के सबसे स्वच्छ और वैक्सीनेशन में भी आगे रहने वाले इंदौर को पर्यटन में आगे लाने की तैयारी है. इसकी शुरुआत रालामंडल अभयारण्य में नाइट सफारी से की जाएगी. साथ ही यहां डेढ़ करोड़ की लागत से खूबसूरत बटरफ्लाइ पार्क (Butterfly Park) बनाया जाएगा. पर्यटकों को लुभाने के लिए पार्क में फूड जोन के साथ दूसरी जगहों से जंगली जानवरों (Wild Animals) को लाकर बसाया जाएगा. रालामंडल के शिकारगाह को देवगुराड़िया पहाड़ (devguradiya mountain) से जोड़ने के लिए केबल कार भी चलाई जाएगी. इस पार्क का अच्छे से अच्छा विकास हो इसके लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई जा रही है.
बारिश में भी खुली रहती है सेंचुरी
इंदौर से 12 किलोमीटर दूर रालामंडल देश (country) की एकमात्र ऐसी सेंचुरी है, जो बारिश में भी खुली रहती है. वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक यहां वृक्षों की 300 से ज्यादा प्रजातियां और 400 से ज्यादा जाति के औषधीय पेड़ पौधे हैं. अभयारण्य में नीलगाय, चीतल, कृष्णमृग, चिंकारा, बारहसिंघा और सेही जैसे वन्यपशु के साथ 62 प्रकार के पक्षी मोर, नीलकंठ, टिटहरी भी हैं.
वन विहार की तरह होगा रालामंडल
रालामंडल के विकास में राज्य के मंत्री दिलचस्पी ले रहे हैं. खुद वन और जल संसाधन मंत्री विजय शाह और तुलसी सिलावट ने यहां तैयारी का जायजा लिया. सिलावट का कहना है भोपाल के वन विहार की तर्ज रालामंडल को विकसित किया जाएगा. इसके अलावा उमरीखेड़ा को भी इको टूरिज्म पार्क (Eco Turism Park) के तौर पर विकसित किया जाएगा. यहां वन्य जीव जंतुओं, लग्जरी टेंट में रुकने की व्यवस्था और एडवेंचर पार्क के साथ पैदल और साइकिल ट्रैक बनाने पर विचार किया जा रहा है. इसके साथ ही यहां पानी के तालाब बनाए जाएंगे, जिसे नर्मदा के पानी से जोड़ा जाएगा.
टुरिज्म को बढ़ावा
बहरहाल रालामंडल अभयारण में नाइट सफारी शुरू होने से इंदौर में टूरुज्म बढ़ेगा. इसके साथ ही महू के पर्यटन क्षेत्रों को उमरीखेड़ा और सिमरोल से जोड़ने की विस्तृत कार्योजना तैयार होने से इंदौर में पर्यटन का बेहतर सर्किट बन जाएगा.
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