भोपाल। उज्जैन के बाद मुरैना की शराबकांड की घटना ने खोखले हो चुके सरकारी तंत्र को उजागर कर दिया है। दोनों ही घटना में मुख्यमंत्री ने एसआईटी जांच कराई है। अभी तक यह तथ्य सामने आए हैं कि जहरीली शराब की विक्री में पुलिस एवं आबकारी की भी मिलीभगत रहती है। माफिया ने सरकारी तंत्र में भी पैठ बना ली है। अब मुख्यमंत्री सरकारी माफिया को खत्म करने की तैयारी में है। वे मुरैना शराबकांड की जांच के लिए गठित एसआईटी की रिपोर्ट के बाद सरकार अगला सख्त कदम उठा सकते हैं। जिसके तहत जिलों में लंबे समय से जमे पुलिस, आबकारी, खनिज एवं वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों को दूसरे जिलों में भेजा जाएगा। जिनके खिलाफ गंभीर जांच लंबित है, उन्हें दंडित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय बैठक में अफसरों को यह संकेत दे दिए हैं, कि अब किसी को छोड़ा नहीं जाएगा। बैठक में यह बिंदु भी उठा कि जिलों में पुलिस, आबकारी एवं वन विभाग के अधिकारी लंबे समय से जमे हैं। ये कुछ समय के लिए दूसरे जिलों में जाते हैं फिर वहीं आ जाते है। अवैध शराब, अवैध खनन में पुलिस, आबकारी और वन विभाग के अमले की मिलीभगत रहती है। कुछ जिलों में अधिकारियों ने 10 से15 साल तक नौकरी की है। माफिया के साथ इनका गठजोड़ मजबूत रहता है। यही वजह है कि सरकारी सख्ती के बावजूद भी माफिया पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। मुरैना की घटना के बाद से मुख्यमंत्री बेहद नाराज हैं। वे अब भ्रष्ट अधिकारी एवं कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई के मूड में है। सीएम की सख्ती से सरकारी माफिया में हड़कंप मचा हुआ है।
एसआईटी रिपोर्ट से तय होगा एक्शन
मुख्यमंत्री ने मुरैेना मामले की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव गृह राजेश राजौरा की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की है। जिसमें एडीजी ए सांई मनोहर, डीआईजी मिथिलेश शुक्ला शामिल हैं। एसआईटी ने आज सुबह मुरैना पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। एसआईटी के साथ जिला कलेक्टर बक्की कार्तिकेयन, एसपी सुनील पाण्डेय, आईजी मनोज शर्मा एवं संभागायुक्त आशीष सक्सेना भी साथ थे। एसआईटी उन गांवों में पहुंची है, जहां शराब की वजह से लोग मरे हैं। एसआईटी शुक्रवार को मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सांैप देगी।
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