मुंबई (Mumbai) । महाराष्ट्र (Maharashtra) में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) को लेकर सियासी पार्टियां कमर कसने लगी हैं। अगले तीन महीनों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हिंदू जन आक्रोश मोर्चा (Hindu Jan Akrosh Morcha) को एक बार फिर से शुरू किया जाएगा। यह मोर्चा हिंदू सकल समाज द्वारा आयोजित किया जाएगा और इसकी शुरुआत अगस्त के पहले हफ्ते से की जाएगी। इस मोर्चे का उद्देश्य हिंदुत्व समर्थक संगठनों और जनता को विधानसभा चुनावों के लिए सक्रिय करना है।
भाजपा नेता और विधायक नितेश राणे ने इस पहल की पुष्टि की है और कहा है कि हिंदुत्व में विश्वास रखने वाले और उनके सहयोगी इस मोर्चा में भाग लेंगे। नितेश राणे ने कहा, “हमारी सरकार हिंदुत्व के प्रति प्रतिबद्ध है और हम अपने एजेंडा के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे। लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में कुछ और सीटें जीतने के बाद विपक्ष ने सोचा कि वे यहां प्रो-मुस्लिम राजनीति कर सकते हैं। उनके प्रो-इस्लामिक राजनीति को नष्ट करने और हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए हम फिर से सड़कों पर उतरेंगे।”
हिंदू जन आक्रोश मोर्चा को फिर से शुरू करने का निर्णय भाजपा और विभिन्न संगठनों के बीच विचार-विमर्श के बाद लिया गया। भगवा संगठनों का मानना है कि भाजपा ने लोकसभा चुनावों में हिंदुत्व के एजेंडे को सक्रिय रूप से नहीं अपनाया, जिससे उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब यह निर्णय लिया गया है कि हिंदुत्व के एजेंडे को राज्य की राजनीतिक बहस के केंद्र में लाया जाए। लोकसभा चुनावों में जाति-समुदाय की समीकरणों के कारण हार के बाद, भगवा संगठनों का मानना है कि आक्रामक हिंदुत्व का एजेंडा इस पर काबू पाने का तरीका हो सकता है।
सकल हिंदू समाज, जो विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू जनजागृति समिति और सनातन संस्था जैसे हिंदुत्व संगठनों का एक अंब्रेला संगठन है, जिन्होंने 2023 में लोकसभा चुनावों से एक साल पहले हिंदू जन आक्रोश मोर्चा आयोजित किया था। इन रैलियों का आयोजन राज्य के सभी जिला मुख्यालयों और प्रमुख शहरों में किया गया था। हजारों लोग इन रैलियों में भाग लेते थे और ‘लव जिहाद’ और ‘भूमि जिहाद’ जैसे आरोपों के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते थे। हालांकि, बाद में मराठा और ओबीसी आरक्षण का मुद्दा राजनीति में प्रमुख बन गया और भाजपा की महायुति केवल 17 सीटें जीत सकी जबकि एमवीए ने 31 सीटें जीतीं। अब, दायें पंथ के संगठन हिंदुत्व के एजेंडे को फिर से राज्य की राजनीति के केंद्र में लाना चाहते हैं।
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