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    आदिवासियों पर दर्ज प्रकरण वापस लेने की तैयारी

  • January 12, 2021

    अभियोजन संचालनालय के आदेश पर जानकारी जुटाना शुरू, सीएम ने की थी घोषणा
    इंदौर, बजरंग कचोलिया ।
    सीएम शिवराजसिंह चौहान की घोषणा को अमलीजामा पहनाते हुए प्रदेशभर में आदिवासियों पर लदे छोटे-मोटे अपराधों के केस वापस लेने की तैयारी शुरू हो गई है। इंदौर सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसे प्रकरण खंगाले जा रहे हैं।
    विधानसभा उपचुनाव के पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने आदिवासी वर्ग को राहत देते हुए प्रकरण वापसी का ऐलान किया था। अब इसी ऐलान का हवाला देते हुए गृह विभाग ने 26 नवंबर व 22 दिसंबर 2020 को लोक अभियोजन संचालनालय को आदेश जारी किए तो संचालनालय के संयुक्त संचालक ने एक आदेश जारी कर इंदौर सहित प्रदेश के समस्त जिलों के जिला अभियोजन अधिकारियों को छोटे-मोटे केस वापस लेने के फरमान जारी किए हैं। इसके लिए गृह विभाग के 4 मार्च 2014, 7 नवंबर 2014 व 12 दिसंबर 2014 के पत्र संलग्न कर उनकी गाइड लाइन के अनुसार केस वापसी के निर्देश दिए हंै। इसके बाद स्थानीय अभियोजन शाखा में भी ऐसे प्रकरणों को छांटने का काम शुरू हो गया है। प्रत्येक जिले में इसके लिए जिला दंडाधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति ऐसे प्रकरणों को वापस लेने की अनुशंसा कर वापस लेने की कार्रवाई को अंजाम देगी। इसमें दो अन्य सदस्य के तौर पर जिले के एसपी व जिला अभियोजन अधिकारी भी शामिल रहेंगे।

    ये केस होंगे वापस
    – मप्र आबकारी अधिनियम की धारा 34 व 38 के प्रकरण।
    – आम्र्स एक्ट के प्रकरण, जिनमें तीन साल तक की सजा का प्रावधान हो।
    – आईपीसी की धारा 294 (गाली-गलौज), 323 (मारपीट), 279 (लापरवाही से गाड़ी चलाना), 336 व 337 (दूसरे के जीवन के लिए संकट उत्पन्न करना या चोट पहुंचाना), 341 (रास्ता रोकने), 342 (बंधक बनाना), 427 (नुकसान पहुंचाना), 447 व 448 (गृह अतिचार या घर में बिना अनुमति के प्रवेश), 506 व 506 बी (जान से मारने की धमकी)।
    – जुआ एक्ट की धारा 13 के प्रकरण।
    – पुलिस एक्ट के प्रकरण।
    – मप्र दुकान व स्थापना अधिनियम के प्रकरण।
    – मप्र नापतौल अधिनियम के प्रकरण।
    – मोटरयान के प्रकरण (कराधान के छोडक़र)।

    ये रहेगी बंदिशें
    – भ्रष्टाचार, सार्वजनिक निधि के दुरुपयोग व आर्थिक अपराध के प्रकरण।
    – तस्करी, विदेशी मुद्रा विनिमय के प्रकरण।
    – नारकोट्रिक्स, ड्रग्स व साइकोट्रोपिक एक्ट के मामले।
    – आवश्यक वस्तु व खाद्य अपमिश्रण के मामले।
    – विस्फोटक पदार्थ, आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित टाडा व पोटा से संबंधित मामले।
    – लोकसेवकों से संबंधित आपराधिक प्रकरण।
    – सिक्कों एवं स्टाम्प से संबंधित प्रकरण।
    – जनन्याय के विरुध्द दर्ज आपराधिक प्रकरण।
    – घरेलू हिंसा व महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम 2005 के तहत दंडनीय प्रकरण।
    – आदतन अपराधियों से संबंधित, रासुका के मामले।
    – चुनाव से जुड़े मामले, जिनमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 व निर्वाचन कार्य से जुड़े व अन्य अधिनियम से संबंधित प्रकरण।

    इनका कहना है
    ‘सरकार के निर्देशों पर वापसी योग्य प्रकरणों की सूची तैयार की जा रही है। अभी ये नहीं कहा जा सकता कि इंदौर में ऐसे कितने प्रकरण हैं।’
    – मोहम्मद अकरम शेख, जिला अभियोजन अधिकारी, इंदौर।

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