भोपाल। बिजली की दरों को बढ़ाने की याचिका पर इस साल अफसर चुप्पी साधे हुए थे। सरकार का पहले ही दबाव था कि याचिका को लेकर किसी तरह का हल्ला न हो। शायद डर था कि बिजली बढ़ोतरी की हकीकत विपक्ष को राजनीति का मौका न दे दें। अब मप्र विद्युत नियामक आयोग ने याचिका को सार्वजनिक किया है। जिसमें घरेलू बिजली को 9.97 फीसदी महंगा करने का प्रस्ताव है। आयोग ने आमजनों से 21 जनवरी तक याचिका पर अपत्ति मांगी है।
तीनों कंपनियों को 48 हजार 874 करोड़ की जरूरत
प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 48 हजार 874 करोड़ रुपए की जरूरत बताई है। तीनों कंपनियों ने इस दौरान 67 हजार 964 मिलियन यूनिट बिजली बेचने का अनुमान लगाया है। कंपनियों का दावा है कि वर्तमान कीमत पर बिजली बेचने पर उन्हें 44 हजार 957 करोड़ रुपए ही मिल पाएंगे। तीन हजार 915 करोड़ रुपए की भरपाई के लिए तीनों कंपनियों ने आसान उपाय निकाला है कि इसे उपभोक्ताओं की जेब से वसूला जाए। इसके लिए बिजली की औसत दरों में 8.71 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है।
ई-वीकल और रेलवे की दरों में कोई बदलाव नहीं
कंपनियों ने रेलवे को बेची जाने वाली बिजली की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इसी तरह ई-वीकल चार्जिंग स्टेशन और व्यवसायिक ई-चार्जिंग स्टेशन की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गाय है। कंपनियों की कोशिश है कि रेलवे और बिजली खरीदे। जबकि ई-वीकल वाहनों को प्रोत्साहन देने की नीति के चलते उनकी कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
2019-20 की बिजली का भार अब वसूलेगी कंपनियां
लगभग दो हजार करोड़ रुपए वित्तीय वर्ष 2019-20 की ट्रू-अप याचिका के तौर पर वसूलने का प्रस्ताव दिया है। दरअसल हर साल बिजली कंपनियां टैरिफ याचिका अनुमान के आधार पर पेश करती है। फिर वित्तीय वर्ष की समाप्ति होने पर असल खर्च का पता चलता है। इसे कंपनियां सत्यापित ट्रू-अप के तौर पर उपभोक्ताओं से वसूलती हैं।
सबसे महंगी बिजली
बिजली मामलों के जानकार और सेवानिृत्त मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि अन्य राज्यों की तुलना में मप्र में सबसे ज्यादा महंगी बिजली दी जा रही है जबकि मप्र में जरूरत से ज्यादा बिजली उत्पादन का दावा किया जा रहा है। यहां कोयला,पानी प्रचुर मात्रा में होने के बावजूद बिजली के दाम इस कदर बढ़ाना आम जनता के साथ धोखा है। राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि कंपनी को अपने फिजूल खर्च को कम करना चाहिए। ज्ञात हो कि इस साल गोपनीय तरीके से आयोग के पास मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी के राजस्व प्रबंधन विभाग ने याचिका जमा की। याचिका के बाद राजस्व प्रबंधन का पूरा दफ्तर ही भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय में बैठाया गया।
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