भोपाल। बहुमंजिला इमारतों और भवनों में लगातार हो रहे अग्रिहादसों के बाद भी मध्यप्रदेश में अभी तक फायर एक्ट लागू नहीं हो सका है। अभी तक नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत ही इमारतों के निर्माण की मंजूरी दी जाती रही है। प्रदेश में फायर एक्ट लागू नहीं होने से नगरीय प्रशासन के फायर अमले को न तो भवन की जांच के अधिकार हैं और न ही कोई कार्रवाई कर सकता है। अब प्रदेश सरकार ने मध्यप्रदेश फायर एण्ड इमरजेंसी सर्विस एक्ट 2020 को लागू करने की तैयारी कर ली है। प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग की अध्यक्षता में फायर एक्ट लागू करने को लेकर दिसंबर अंतिम सप्ताह में बैठक भी हो चुकी है। इस संबंध में तैयार बिल को मध्यप्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विस बिल 2022 के नाम से जाना जाएगा। इसका ड्राफ्ट कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों को भेज सुझाव भी मांगे गए हैं। बिल के तहत एक डायरेक्टर नियुक्त किया जाएगा जो पूरे प्रदेश में इस एक्ट को लागू कराने और व्यवस्थाओं के लिये जिम्मेदार होगा। इस बिल के लागू होने के बाद फायर अमले को किसी परिसर की जांच और कार्रवाई के साथ ही दण्ड के भी अधिकार मिल जाएंगे।
मिलेंगे गिरफ्तारी के अधिकार
इस बिल में फायर एण्ड इमरजेंसी सर्विस के अमले को गिरफ्तारी के भी अधिकार दिये गये हैं। अगर ऑपरेशन के दौरान कोई व्यक्ति बाधा खड़ी करता है या बाधक बनता हो तो उसे फायर अमला गिरफ्तार कर सकेगा। जिसे बाद में पुलिस को सौंप दिया जाएगा।
दण्ड का प्रावधान
इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया है कि अगर किसी के कारण किसी व्यक्ति के यहां अग्नि हादसा होता है तो वह संबंधित से मुआवजा ले सकता है। वहीं एक्ट का उल्लंघन करने पर 6 माह की जेल अथावा 50 हजार जुर्माना अथवा दोनों लगाए जा सकेंगे। अगर फायर अमला अपनी जिम्मेदारी का उल्लंघन करता है तो उस पर भी दण्डात्मक कार्रवाई के प्रावधान किये गये हैं। इसमें तीन माह की सजा का भी प्रावधान है।
गलत सूचना पर जेल
एक्ट में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई गलत सूचना देता है तो उसे 3 माह की जेल अथवा 10 हजार का जुर्माना होगा। आग लगने की सूचना नहीं देने पर भी केस दर्ज करने का प्रावधान किया गया है। अग्निहादसे से बचाव का समुचित उपाय नहीं करने पर भी 10 हजार का जुर्माना या 3 माह की जेल या दोनों का प्रावधान है। अगर अग्निहादसे के दौरान ऑपरेशन में कोई बाधा पैदा करता है तो उसे 3 माह की जेल का प्रावधान किया गया है।
जब्ती के अधिकार
इस बिल के लागू होने के बाद फायर ऑफीसर को किसी भी परिसर में प्रवेश कर जांच करने का अधिकार होगा। लेकिन यह जांच कार्रवाई सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही की जा सकेगी। अग्रि हादसे के दौरान अगर कोई बाधा होती है तो उस वस्तु को हटाने या गिराने का अधिकार होगा। लेकिन यह देखना होगा कि नुकसान न्युनतम हो। किसी परिसर को अग्रिरोधी बनाने आवश्यक निर्देश दे सकेगा। तय समय सीमा में अगर निर्देशों का पालन नहीं होता है तो वह परिसर को सीज कर सकेगा या संबंधित वस्तु को जब्त भी कर सकेगा। पंडाल आदि में आवश्यक इंतजाम नहीं होने पर सील भी कर सकेगा।
कहीं से भी ले सकेंगे पानी
अग्नि हादसे को दौरान आग बुझाने की कार्यवाही में आवश्यक होने पर फायर अमला कहीं से भी पानी ले सकेगा। इस लिये गये पानी का कोई मुआवजा या भुगतान नहीं किया जाएगा।
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