नई दिल्ली (New Delhi) । हाल ही में बीमा नियामक इरडा (insurance regulator irda) यानी इंश्योरेंस रेगुलेटरी और डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने बीमा पॉलिसी (insurance policy) में बड़ा बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत पॉलिसीधारक के लिए फ्री-लुक अवधि को दोगुना किया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि अब एक पॉलिसी लेने वाले के पास अपनी पॉलिसी लौटाने के लिए पहले जो 15 दिन का समय होता था उसे अब बढ़कर 30 दिनों का करने का प्रस्ताव रखा गया है। मौजूदा प्रस्ताव पर आम लोगों से लेकर बीमा कंपनियों समेत सभी हितधारकों को 4 मार्च तक अपना फीडबैक देना होगा।
इरडा ने अपना मसौदा नियमन 2024 प्रस्तावित किया गया है उसमें कहा गया है, किसी भी माध्यम से पॉलिसी लेने के बाद फ्री-लुक अवधि को पॉलिसी दस्तावेज की रसीद जारी होने से 30 दिन तक बढ़ाया जाए। वर्तमान में जीवन बीमा पॉलिसी के लिए यह अवधि 15 दिन है। हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक पॉलिसी और किसी डिस्टेंस मोड के जरिए ली गई पॉलिसी के लिए फ्री-लुक अवधि 30 दिन की ही है। बीमा नियमों में अनिवार्य फ्री-लुक पीरियड का प्रावधान पहले से है।
अभी कंपनियों को हर जीवन बीमा व सामान्य बीमा उत्पाद के साथ कम से कम 15 दिनों का फ्री-लुक पीरियड ऑफर करना पड़ता है। इलेक्ट्रॉनिक पॉलिसी या डिस्टेंस मोड के तहत खरीदी गई पॉलिसी के लिए यह समय 30 दिनों का है। मौजूदा नियम कहता है कि कंपनियां अपनी ओर से सभी ग्राहकों को 30 दिनों का फ्री-लुक पीरियड ऑफर कर सकती हैं, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।
क्या होती है यह अवधि
जब कोई पॉलिसीधारक नई पॉलिसी खरीदने के बाद किसी भी वजह से अपना मन बदलता है तो वो इस पॉलिसी से बाहर निकल सकता है। अगर पॉलिसीधारक इस तरह की नई पॉलिसी से बाहर निकलता है तो बीमा कंपनी को पॉलिसी खरीदते वक्त लिया गया प्रीमियम वापस करना होता है। हालांकि, इसमें जोखिम प्रीमियम की कटौती की जाती है। इसके अलावा इसमें कुछ और कटौती भी होती है जैसे कि मेडिकल चेक-अप्स, स्टाम्प ड्यूटी जैसे खर्च आदि।
इरडा ने दिए और भी प्रस्ताव
इरडा ने एक और प्रस्ताव यह भी रखा है कि जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को किसी को भी नई पॉलिसी जारी करते वक्त नॉमिनेशन की डिटेल्स जरूर लेना चाहिए। पॉलिसी रिन्यू करने के दौरान भी ऐसा करना अनिवार्य किया जाए।
अगर इस ड्राफ्ट को लागू कर दिया जाता है तो ज्यादातर पॉलिसी को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही जारी करना अनिवार्य हो सकता है। इरडा ने प्रस्ताव में पॉलिसीधारक के बैंक खाते के विवरण भी जुटाने की बात कही है ताकि दावों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से लौटाया किया जा सके।
ग्राहकों के हितों की होगी सुरक्षा
इरडा का कहना है कि 30 दिनों का समय मिलने से बीमा ग्राहक अपने संबंधित उत्पाद के दस्तावेजों को अच्छे से समझ सकेंगे। दस्तावेजों को अच्छे से पढ़ने के बाद अगर कोई चीज उन्हें समझ नहीं आती है तो वे अपनी संबंधित बीमा कंपनी से संपर्क कर अपने संदेह दूर कर सकते हैं या कोई शर्त अपने हितों के लिए प्रतिकूल समझ आने पर पॉलिसी को सरेंडर कर सकते हैं। फ्री-लुक पीरियड बढ़ने से ग्राहक 30 दिनों तक पॉलिसी सरेंडर कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें अलग से कोई शुल्क नहीं देना होगा और बीमा कंपनी उनके पहले प्रीमियम की रकम को पूरा वापस करेगी।
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