नागदा (प्रफुल्ल शुक्ला)। नागदा-खाचरौद विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी में उम्मीदवारी को लेकर चल रही घमासान के बीच एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। यदि यह जानकारी सही होती है तो वर्तमान में भाजपा के करीब एक दर्जन भावी उम्मीदवार जो अपना टिकिट तय मानकर पूरे क्षेत्र में दौड़ लगा रहे है के लिए बहुत बड़ा आघात होगा। हर हाल में जीत हासिल करने के लिए पार्टी बड़ा कदम उठा सकती है जिसमें भाजपा प्रत्याशी संघ से जुड़ा पदाधिकारी हो सकता है। भोपाल पहुँच रही पल-पल की खबर: संघ से जुड़े बड़े पदाधिकारियों और भाजपा के बड़े नेताओं के पास टिकिट को लेकर स्थानीय नेताओं के बीच चल रही खींचतान और मनमुटाव की पूरी सूचनाएँ पहुँच रही है। वर्तमान दावेदारों में से किसी को भी उम्मीदवार बनाया जाता है तो दूसरे दावेदारों को मनाना मुश्किल होगा। पहले से मुश्किल इस विधानसभा सीट के लिए टिकिट से वंचित दावेदारों की भीतरघात जीत को असंभव कर देगी। भोपाल में हुए इस सीट के मंथन में नए प्रयोग की सम्भावना को बल मिला है।
राजपूत ही क्यों?
नागदा-खाचरौद विधानसभा को गुर्जर और राजपूत बाहुल्य बताकर यहाँ पर कांग्रेस की ओर से गुर्जर उम्मीदवार के मुकाबले भाजपा राजपूत को मौका देते आई है। राजपूत को मौका दिए जाने के बाद भी यहाँ भाजपा की सफलता का प्रतिशत 30 के लगभग ही है। उसकी एक वजह भाजपा में कई राजपूत दावेदार होना और उसकी वजह से राजपूतों का एक नहीं होना है। वर्तमान में भी राजपूत समाज से
चार प्रबल दावेदार भाजपा से टिकिट का दावा ठोक रहे है पर आपस में एक नहीं है।
एक तीर से कई निशाने की तैयारी
भोपाल तक सभी माध्यमों से पहुँच रही सूचनाओं से वरिष्ठ भाजपा नेता अवगत हैं कि वर्तमान स्थानीय सभी दावेदारों में से पार्टी किसी को भी अपना उम्मीदवार बनाती है तो भी भाजपा यहाँ जीतती नहीं दिख रही। यही परिस्थितियाँ रहती है तो भाजपा यहाँ संघ से जुड़े पदाधिकारी को अपना उम्मीदवार बना सकती है। संघ का उम्मीदवार होने से अन्य दावेदारों की आपसी कलह का परिणाम पर कोई असर नहीं रहेगा और भीतरघात करने का साहस भी कोई नहीं जुटा पाएगा। संघ उम्मीदवार होने से सभी नेताओं के एकजुट होकर चुनाव लडऩे की सम्भावना भी प्रबल होगी। यदि यह होता है तो खाचरौद क्षेत्र के निवासी संघ के विभाग प्रभारी बलराज भट्ट एवं हिंदू जागरण मंच के प्रांत संयोजक भेरूलाल टांक में से किसी एक के भाजपा प्रत्याशी होने की प्रबल सम्भावना होगी। नागदा खाचरौद विधानसभा में 18000 से अधिक ब्राह्मण वोटों का होना और खाचरौद का निवासी होना बलराज भट्ट के उम्मीदवार होने की सम्भावनाएँ बढ़ाता है क्योंकि भाजपा ने खाचरौद क्षेत्र से कभी उम्मीदवार नहीं दिया है जिससे खाचरौद और उससे लगे गाँवों के मतदाताओं में नाराजगी है। श्री भट्ट की उम्मीदवारी से यह नाराजगी भी दूर हो जाएगी। वहीं दूसरी ओर भेरूलाल टांक जिनकी छवि क्षेत्र में कट्टर हिंदूवादी के रूप में स्थापित है। दूसरे प्रबल दावेदार है। भाजपा श्री टांक पर दांव लगाती है तो हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के चलते भाजपा को सफलता मिल सकती है। इस प्रकार भाजपा के वरिष्ठ नेता पार्टी से जुड़े नेताओं को छोड़कर संघ से जुड़े अधिकारियों को मौका देकर स्थानीय कलह के साथ-साथ अन्य नाराजगी से भी बच जाएगी और कांग्रेस के हाथ से यह सीट अपने पक्ष में करने की प्रबल दावेदार हो जाएगी।
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