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2024 की तैयारीः बिहार में BJP को छोड़ 7 दल आए एकसाथ, तेलंगाना के CM आज नीतीश संग करेंगे लंच

August 31, 2022

पटना। 2024 के लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha Elections) में देश भर के भाजपा विरोधी विपक्षी दलों (anti bjp opposition parties) में एकजुटता का खेल शुरू हो गया है। बिहार (bihaar) में बीजेपी को अलग-थलग छोड़कर सात पार्टियां एक साथ महागठबंधन (Seven parties together great alliance) में आ गई हैं जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) कर रहे हैं। बुधवार को बिहार दौरे पर आ रहे तेलंगाना के सीएम और टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव नीतीश के साथ लंच करेंगे। केसीआर नीतीश के अलावा लालू यादव और तेजस्वी यादव से भी मिल सकते हैं।

केसीआर के नाम से मशहूर टीआरएस प्रमुख लगातार राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं और कई बार उन्होंने इसकी नाकाम कोशिश भी की है। नीतीश कुमार भी नए सत्ता समीकरण में विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं लेकिन उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अब उनको पीएम कैंडिडेट बनाने की बात करने लगे हैं। जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की मीटिंग पटना में 3 और 4 सितंबर को है जिसमें 2024 के चुनाव में नीतीश की भूमिका को लेकर पार्टी का मन और ज्यादा साफ होकर सामने आ सकता है।


पीएम कैंडिडेट के मसले पर नीतीश की पार्टी जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह सबसे सधा जवाब देते हैं जब वो कहते हैं कि नीतीश कुमार में पीएम बनने के सारे गुण हैं लेकिन वो पीएम पद के कैंडिडेट नहीं हैं। ललन सिंह कहते हैं कि नीतीश बस ये चाहते हैं कि 2024 के चुनाव में विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करें और उसे हराएं और वो इस दिशा में जो बन सकेगा, करेंगे। नीतीश और केसीआर दोनों के लिए कांग्रेस को ऐसे विपक्षी गठबंधन के लिए राजी करना चुनौती है जिसकी अगुवाई कोई गैर-कांग्रेसी नेता करे।

क्या हैं केसीआर के बिहार दौरे के मायने?
वैसे तो आधिकारिक तौर पर केसीआर गलवान घाटी में शहीद सैनिकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने बिहार आ रहे हैं लेकिन जिस समय आ रहे हैं उसने उनके दौरे का रंग बदल दिया है। तेलंगाना का 2014 में सीएम बनने के पहले केसीआर का यह पहला बिहार दौरा है। केसीआर ने बीजेपी मुक्त भारत का नारा भी दिया है जैसा नारा नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में आरएसएस मुक्त भारत का दिया था। इसी साल जनवरी में तेजस्वी यादव समेत कुछ आरजेडी नेता केसीआर से मिलने हैदराबाद भी गए थे जिसमें विपक्षी एकता की ही बात हुई।

जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि विपक्षी एकता की बात जो आज हो रही है वैसी कभी नहीं हुई थी और नीतीश कुमार इसके लिए सब कुछ करेंगे। ललन सिंह ने पीएम कैंडिडेट के तौर पर नीतीश के पोस्टर को लेकर कहा कि ना तो यह पार्टी का स्टैंड है और ना ही नीतीश कुमार ने ऐसा कुछ कहा है। उन्होंने खुद कहा है कि उनका मकसद अलग-अलग क्षेत्रों के विपक्षी दलों को एकजुट करना है। लेकिन यह सब जानते हैं कि नीतीश कुमार में वो सारे गुण हैं जो पीएम में होने चाहिए लेकिन वो कैंडिडेट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को एक बैनर के तले लाने की शरुआत बिहार से हुई है जहां बीजेपी के विरोध में सात दल एक साथ आ गए हैं। ललन सिंह ने कहा कि विपक्षी एकजुटता की कोशिश में जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग के बाद तेजी आ जाएगी।

 

केसीआर की लालू से भी हो सकती है मुलाकात
आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने केसीआर की लालू और तेजस्वी से मुलाकात की संभावना पर कहा कि लालू और केसीआर पुराने मित्र हैं। उन्होंने कहा कि देश चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा है और देश की जरूरत है कि सारे बीजेपी विरोधी दल एक साथ आएं। बिहार ने सबको रास्ता दिखाया है। उन्होंने कहा कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी लेकिन ये है कि पहिया घूमने लगा है और सही दिशा में बढ़ रहा है। बीजेपी नेता रितुराज सिन्हा ने कहा कि नीतीश और केसीआर सपना देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष में हर कोई पीएम बनना चाहता है इसलिए विपक्षी एकजुटता का ये खोखला खेल जल्द ही सामने आ जाएगा।

सामाजिक विश्लेषक एनके चौधरी कहते हैं कि वो केसीआर और नीतीश की मीटिंग में कुछ खास नहीं देखते क्योंकि केसीआर द्वारा विपक्षी एकजुटता की कोशिश पहले भी कई गई है लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय नेता अपने लोकल हितों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन चाहते हैं। केसीआर को तेलंगाना में बीजेपी और कांग्रेस से लड़ना है। केसीआर ने पहले भी विपक्षी एकता की कोशिश की लेकिन कुछ हुआ नहीं। नीतीश कुमार इसमें नए खिलाड़ी आए हैं इसलिए एक बार फिर से कोशिश हो रही है। चौधरी ने कहा कि अलग-अलग राज्यों के छत्रपों के आपसी अंतर्विरोध एक ऐसी खाई है जिसे पाट पाना आसान काम नहीं है।

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