नई दिल्ली (New Delhi)। भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने लंबे इंतजार (Wait)के बाद रविवार को जारी पांचवीं लिस्ट में यूपी की 13 सीटों पर तो प्रत्याशी उतार (candidate field)दिए लेकिन कांग्रेस (Congress)के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न रही रायबरेली सीट को लेकर पत्ते नहीं खोले। वहीं कैसरगंज से छह बार के सांसद ब्रज भूषण शरण सिंह को लेकर भी सस्पेंस बरकरार है। रायबरेली सीट पर उम्मीदवार घोषित करने में देरी के पीछे माना जा रहा है कि बीजेपी इस सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित हो जाने का इंतजार कर रही है। राजनीतिक गलियारों में काफी अटकलें हैं कि कांग्रेस इस सीट पर राहुल गांधी या प्रियंका गांधी में से कोई एक चुनाव लड़ सकता है।
कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए लोकसभा की बजाए राज्यसभा का रुख अख्तियार कर लेने के बाद बीजेपी पिछले चुनाव में गांधी परिवार इस एकमात्र बचे किले में कमल खिलाने की रणनीति बना रही है। माना जा रहा है कि इसी वजह से इस सीट पर उसका उम्मीदवार घोषित करने में देरी हो रही है। रायबरेली की सीट यूपी की उन 17 सीटों में शामिल है जिन पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। माना जा रहा है कि बीजेपी, इंतजार कर रही है कि पहले कांग्रेस रायबरेली में अपना उम्मीदवार घोषित करे तब उसे चुनौती देने में सक्षम उम्मीदवार को आगे कर बीजेपी भी अपना दांव चले।
वहीं, बीजेपी की रविवार को घोषित सूची में आशंकाओं को सच साबित करते हुए तीन बार के सांसद वरुण गांधी का टिकट काट दिया गया है। उनकी जगह यूपी के मंत्री जितिन प्रसाद को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है। हालांकि वरुण की मां और पार्टी की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी का नाम सूची में शामिल है। वह सुल्तानपुर से एक बार फिर पार्टी की उम्मीदवार हैं। इस सूची में 1990 के हिट धारावाहिक ‘रामायण’ में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल का नाम भी है। उन्हें मेरठ से उम्मीदवार बनाया गया है।
बीजेपी ने बदायूं से मौजूदा सांसद और बागी स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य को भी इस बार टिकट नहीं दिया है। उनकी जगह ओबीसी नेता दुर्विजय सिंह शाक्य को मौका मिला है। दुर्विजय सिंह शाक्य भाजपा के ब्रज क्षेत्र के प्रमुख हैं। वहीं, बरेली से नौ बार के अनुभवी सांसद संतोष गंगवार को भी बीजेपी ने इस बार मौका नहीं दिया है। उनकी जगह एक अन्य कुर्मी नेता छत्रपाल को टिकट दिया गया है।
पांचवीं लिस्ट में यूपी से जिन 13 नामों पर मुहर लगाई गई है उसमें दूसरे नंबर पर दलित राजरानी रावत हैं। उन्हें बाराबंकी आरक्षित सीट से उपेन्द्र सिंह रावत की जगह उम्मीदवार बनाया गया है। उपेन्द्र सिंह रावत का नाम 2 मार्च को पार्टी की 51 उम्मीदवारों वाली पहली सूची में था लेकिन बाद में सोशल मीडिया पर उनका एक आपत्तिजनक वीडियो सामने आने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। कानपुर, जहां 76 वर्षीय मौजूदा भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी ने पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर चुनाव लड़ने में असमर्थता जताई थी, उनकी जगह पत्रकार से भाजपा नेता बने रमेश अवस्थी को उतारा गया है। सहारनपुर से बीजेपी ने फिर से अपना दांव खेला है। यहां से ब्राह्मण नेता राघव लखनपाल पर भरोसा जताया है जिन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव सहारनपुर से जीता था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार हाजी फजलुर रहमान ने उन्हें हरा दिया था। सतीश गौतम को अलीगढ़ में बरकरार रखा गया है वहीं मंत्री और विधायक अतुल गर्ग गाजियाबाद से मौजूदा लोकसभा सांसद और पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह की जगह उम्मीदवार होंगे। मुरादाबाद से भाजपा ने पांच बार के विधायक सर्वेश सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से हार गए थे।
सतीश गौतम और अनूप वाल्मिकी को अलीगढ और हाथरस (सुरक्षित) सीटों से पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। बहराईच में अरविंद गोंड को उम्मीदवार बनाया गया है। इस सूची के साथ, भाजपा ने अब यूपी 80 में से 63 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इसमें बाराबंकी में बदले गए उम्मीदवार भी शामिल हैं।
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