नई दिल्ली। पुर्तगाल (Portugal) जैसे यूरोप (europe) के संपन्न देशों (rich countries) में बेहतरीन स्वास्थ्य व्यवस्था (best health care) की कलई खुल गई है. वहां के अस्पताल की लापरवाही इतनी बढ़ गई है कि लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है. इस बार हमारी एक भारतीय महिला (Indian woman) को इसकी कीमत चुकानी पड़ी है. दरअसल, एक 34 साल की भारतीय महिला टूरिस्ट (Indian Women Tourist) के रूप में पुर्तगाल घूमने गई थीं. वह प्रेग्नेंट थीं. कुछ जटिलताएं होने पर वह देश की राजधानी लिस्बन के सबसे बड़े अस्पताल सांता मारिया अस्पताल गईं लेकिन वहां की इमरजेंसी प्रसूति विभाग (emergency obstetrics department) से ट्रांसफर कर दिया गया. लेकिन उन्हें दिल का दौरा पड़ गया जिसके कारण महिला की मौत हो गई. महिला की मौत (Indian woman death) के बाद सरकार की भारी आलोचना होने लगी. इसके बाद देश की स्वास्थ्य मंत्री मार्टा टेमिडो (Health Minister Marta Temido) ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया।
पुर्तगाल में इस तरह की कोई पहली घटना नहीं है। एक खबर के मुताबिक लिस्बन के कई अस्पतालों में इमरजेंसी प्रसूति विभाग को बंद कर दिया जाता है. खासकर के वीकेंड में. इसके अलावा गर्मी की छुट्टी में अधिकांश डॉक्टर लंबी छुट्टी पर चले जाते हैं. नियोनेटोलॉजी (जच्चा-बच्चा विभाग) में जगह नहीं मिलती. बड़े-बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है. भारतीय महिला की मौत के बाद चारों तरफ से हंगामा होने लगा. विपक्षी पार्टियों ने सरकार की आलोचना की. इसके बाद सरकार ने प्रशासनिक जांच के आदेश भी दिए और अस्पतालों में प्रसूति विभाग को बंद किए जाने पर आवश्यक कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं।
शनिवार को अस्पातल से ट्रांसफर के दौरान भारतीय प्रेग्नेंट महिला की मौत हो गई थीं. पुर्तगाल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हेल्थ मिनिस्टर ने इस्तीफा देने का फैसला किया है क्योंकि उन्हें महसूस हो गया है कि वे पद पर बने रहने की स्थिति में नहीं हैं. महिला की मौत की खबर के बाद सरकार की तीखी आलोचना होने लगी. सोशल मीडिया पर महिला की मौत की खबर वायरल हो गई. लोग इसे लेकर पुर्तगाल सरकार और अस्पताल की लापरवाही को दोषी माना।
इन सबके चलते दबाव में आई सरकार ने स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर मार्टा टेमिडो से उनका इस्तीफा ले लिया है. डॉक्टर मार्टा टेमिडो साल 2018 से देश की स्वास्थ्य मंत्री थीं. उन्हें देश में कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने का श्रेय दिया जाता है लेकिन अस्पतालों में नियोनेटल विभाग के बंद होने और डॉक्टरों की भारी कमी के कारण उनकी काफी आलोचना हो रही थी।
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