उज्जैन। गर्मियों के दौरान हरी सब्जियों के दाम आम आदमी की पहुंच में थे, लेकिन प्री मानसून की एक्टिविटी शुरू होते ही किसान खेत तैयार करने में जुट गए हैं। किसानों ने पुरानी सब्जियों के पौधों को निकाल दिया है, जिससे मालवा-निमाड़ से सब्जियों की आवक सिमटने से सब्जियों के दाम 50 रुपए प्रतिकिलो के करीब खेरची में पहुंच गए हैं। आम उपभोक्ता को आगामी 2 से 3 सप्ताह महंगी सब्जियाँ खरीदना होंगी।
थोक व खेरची में 25 से 30 रुपए का अंतर
हरी सब्जियों का स्टोरेज एक-दो दिन से ज्यादा रखना मुश्किल रहता है, इसलिए हमेशा ही थोक व खेरची सब्जियों के दाम में 25 से 30 रुपए प्रतिकिलो तक का अंतर बना रहता है। पालक, धनिया और पत्तेदार सब्जियां तो एक दिन में ही मुरझा जाती हैं। ऐसी सब्जियों को उपभोक्ता लेना पसंद नहीं करता। अक्सर लोकल सब्जी विक्रेताओं को नुकसान उठाना पड़ता है। इसके कारण वह मंडी से खेरची में दाम ज्यादा वसूलते हैं।
राजस्थान-महाराष्ट्र से भिंडी, गिल्की, करेला की आवक
चिमनगंज मंडी स्थित सब्जी मंडी में इन दोनों राज्यों राजस्थान के कोटा और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे महाराष्ट्र से बड़ी मात्रा में गिल्की, भिंडी, करेला और अन्य सब्जियों की आवक हो रही है तो पंजाब से हरी और शिमला मिर्च उज्जैनवासियों को पहुंच रही है।दरअसल इस समय उज्जैन के 100 किलोमीटर रेडियस मालवा निमाड़ क्षेत्र में किसान बारिश की फसल लगते हैं इसलिए मार्च अप्रैल में लगे सब्जी के पौधे प्री मानसून के पहले खेतों से निकाल दिए जाते हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved