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आ गया प्री-मानसून..किसान जुटे खेत तैयार करने में..सब्जियों के पौधे निकाले, मौसम भी बदलेगा

June 20, 2024

  • सब्जियाँ महँगी ,लोकल आवक सिमटने से खेरची में दाम 50 रुपए प्रतिकिलो के करीब

उज्जैन। गर्मियों के दौरान हरी सब्जियों के दाम आम आदमी की पहुंच में थे, लेकिन प्री मानसून की एक्टिविटी शुरू होते ही किसान खेत तैयार करने में जुट गए हैं। किसानों ने पुरानी सब्जियों के पौधों को निकाल दिया है, जिससे मालवा-निमाड़ से सब्जियों की आवक सिमटने से सब्जियों के दाम 50 रुपए प्रतिकिलो के करीब खेरची में पहुंच गए हैं। आम उपभोक्ता को आगामी 2 से 3 सप्ताह महंगी सब्जियाँ खरीदना होंगी।



शहर की सबसे बड़ी चिमनगंज स्थित थोक सब्जी मंडी में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र के साथ दक्षिण भारत से भी बड़ी मात्रा में फल एवं सब्जियों की आवक बनी हुई है। प्री मानसून की गतिविधियां शुरू होने के साथ ही मालवा-निमाड़ की लोकल सब्जियों की आवक तकरीबन बंद होने जैसी स्थिति में आ गई है। इसके कारण पिछले चार-पांच दिनों से सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। बाहर से सब्जियों की आवक हो रही है, जिसके चलते शहर में सब्जियों की आपूर्ति पर कोई असर नहीं हुआ है, लेकिन आम उपभोक्ता को अब महंगी सब्जियां खरीदना पड़ रही है। रतलाम, नागदा एवं बडऩगर सहित आसपास के अंचलों में बारिश के दौरान सब्जियों की नई फसल शुरू होगी, जिससे पैदावार जुलाई के दूसरे सप्ताह में शुरू हो पाएगा, तब जाकर नई फसल मंडियों में पहुंचेंगी, इसके बाद दाम कम होने के आसार रहेंगे।

थोक व खेरची में 25 से 30 रुपए का अंतर
हरी सब्जियों का स्टोरेज एक-दो दिन से ज्यादा रखना मुश्किल रहता है, इसलिए हमेशा ही थोक व खेरची सब्जियों के दाम में 25 से 30 रुपए प्रतिकिलो तक का अंतर बना रहता है। पालक, धनिया और पत्तेदार सब्जियां तो एक दिन में ही मुरझा जाती हैं। ऐसी सब्जियों को उपभोक्ता लेना पसंद नहीं करता। अक्सर लोकल सब्जी विक्रेताओं को नुकसान उठाना पड़ता है। इसके कारण वह मंडी से खेरची में दाम ज्यादा वसूलते हैं।

राजस्थान-महाराष्ट्र से भिंडी, गिल्की, करेला की आवक
चिमनगंज मंडी स्थित सब्जी मंडी में इन दोनों राज्यों राजस्थान के कोटा और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे महाराष्ट्र से बड़ी मात्रा में गिल्की, भिंडी, करेला और अन्य सब्जियों की आवक हो रही है तो पंजाब से हरी और शिमला मिर्च उज्जैनवासियों को पहुंच रही है।दरअसल इस समय उज्जैन के 100 किलोमीटर रेडियस मालवा निमाड़ क्षेत्र में किसान बारिश की फसल लगते हैं इसलिए मार्च अप्रैल में लगे सब्जी के पौधे प्री मानसून के पहले खेतों से निकाल दिए जाते हैं।

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