डेस्क: अयोध्या और बाबरी मस्जिद को लेकर 9 नवंबर साल 2019 को ऐतिहासिक फैसला सामने आया था. इस फैसले की बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे. हाल ही में चीफ जस्टिस ने बताया कि जब वो इस केस का फैसला नहीं ले पा रहे थे तो उन्होंने ईश्वर से रास्ता दिखाने की प्रार्थना की थी. चीफ जस्टिस ने रविवार को कहा, राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर जो विवाद चल रहा था, उस दौरान इस केस के समाधान के लिए मैंने ईश्वर से प्रार्थना की थी. साथ ही उन्होंने कहा, अगर यकीन हो तो ईश्वर रास्ता जरूर दिखाते हैं.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ रविवार को महाराष्ट्र के कन्हेरसर में लोगों को संबोधित कर रहे थे . इस दौरान उन्होंने कहा, अक्सर हमारे पास कुछ ऐसे मामले होते हैं, जिनमें हम किसी समाधान पर नहीं पहुंच पाते और फैसला नहीं ले पाते. ऐसा ही कुछ अयोध्या (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) के दौरान हुआ था. उन्होंने कहा, यह केस तीन महीने तक मेरे सामने था. इस मामले में वो फैसले तक कैसे पहुंचे यह बताते हुए सीजेआई ने कहा, मैं ईश्वर के सामने बैठा और उनसे कहा कि आपको इस केस का समाधान ढूंढना ही होगा.
चीफ जस्टिस ने कहा, मेरा यकीन मानो, अगर आप ईश्वर पर विश्वास करते हो तो वो ईश्वर हमेशा रास्ता ढूंढेंगे. 9 नवंबर, 2019 को, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच-जस्टिस की बेंच ने अयोध्या को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. सीजेआई रंजन गोगोई ने राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया. साथ ही फैसला सुनाया की मस्जिद को 5 एकड़ की अयोध्या में ही जमीन दी जाएगी. इन पांच जजों की बेंच में डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ राम मंदिर के निर्माण के बाद जुलाई के महीने में दर्शन करने के लिए राम मंदिर भी गए थे.
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