गौरवशाली इतिहास को आत्मसात् करने का स्थल
कौशल
‘भूख न मेटे मेड़तो, न मेटे नागौर,
रजवड़ भूख अनोखड़ी, मिटे मर्या चित्तौड़’
‘‘मेवाड़ के रणबांकुरों के लिए मातृभूमि प्राणों से भी प्यारी है। यह बात इन पंक्तियों से समझी जा सकती है। मातृभूमि के हित से परे जाकर वे कोई समझौता नहीं कर सकते। मेवाड़ी रणबांकुरों की भूख धन-शोहरत से नहीं, बल्कि बलिदान से मिटती है।’’
इन्हीं भावों के साथ वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को नमन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने 28 नवम्बर 2016 सोमवार को उदयपुर में स्थापित प्रताप गौरव केन्द्र का लोकार्पण किया था, तो युवाओं ने भारतमाता और प्रताप-शिवा के जैकारों से गगन गुंजा दिया था। यह संयोग ही रहा कि इस स्थल का शिलान्यास 18 अगस्त 2008 को भागवत ने ही किया था, तब वे संघ के सरकार्यवाह थे। इसके बाद 29 अगस्त 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस केन्द्र का अवलोकन किया था और महाराणा प्रताप को पुष्पांजलि अर्पित की थी।
मेवाड़ की धरा पर मेवाड़ की भक्ति और शक्ति के इतिहास का जीवंत अहसास कराने वाला यह केन्द्र आज राष्ट्रीय तीर्थ के समान श्रद्धा पा रहा है। इसका विशेष कारण यहां स्थापित भारतमाता की प्रतिमा है। जब पर्यटक गौरव केन्द्र पर गौरवशाली अतीत के दर्शन के बाद पहुंचता है तो स्वतः ही देशहित सर्वोपरि के संकल्प को प्रस्तुत हो जाता है।
प्रताप गौरव केन्द्र उदयपुर के पर्यटन के नक्शे में एक नया अनूठा आयाम बनकर उभरा है। पन्नाधाय की बलिदानी गाथा से लेकर हल्दीघाटी के युद्ध तक के इतिहास को अपने में समेटे यह स्थल मेवाड़ का पहला ऐसा केन्द्र बन गया है जहां पर्यटक मेवाड़ की शौर्यगाथा से न केवल परिचित हो रहे हैं, बल्कि इसकी अनुभूति उनके लिए यादगार बन रही है। गौरव केन्द्र सिर्फ मेवाड़ तक ही सीमित नहीं है, यहां भक्त शिरोमणि मीरां बाई के दर्शन भी हैं तो छत्रपति शिवाजी के भी दर्शन हो रहे हैं। फतहसागर झील से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर अरावली की पहाड़ी ‘टाइगर हिल’ पर बने इस केन्द्र पर गौरवशाली इतिहास और भारतीय संस्कृति के मूल्यों के दर्शन के साथ 25 हजार पौधे भी पर्यटकों को सुकून का अहसास कराते हैं।
यह गौरव केन्द्र महज एक दीर्घा या संग्रहालय न होकर अपने आप में सम्पूर्ण पर्यटन परिसर है जिसे पूरा देखने में पर्यटक को कम से कम आधा दिन लगता है। पर्यटकों की सुविधा के लिए अब यहां के भ्रमण का विभक्तीकरण कर दिया गया है। पर्यटक अपने पास उपलब्ध समय के अनुसार अवलोकन करने वाले आयाम चुन सकता है, पर्यटक को इसके लिए शुल्क भी उतना ही चुकाना होता है। इतिहास को समझाने के लिए यहां पर मार्गदर्शक भी हैं। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधाएं भी मुहैया हैं। दर्शकों का सामान सुरक्षित रहे इस हेतु क्लाॅक रूम, चाय व अल्पाहार तथा 5 स्थानों पर पीने के पानी की व्यवस्था एवं शौचालयों का प्रबंध भी है। दर्शकों को इतिहास की जानकारी के लिए पुस्तकें, चित्र, मोमेन्टो, सी.डी. आदि सामग्री खरीदने का केन्द्र भी है। आने वाला परिवार बच्चों सहित समय, एकाग्रता और निश्चिंत होकर केन्द्र की हर एक प्रदर्शनी को देख सके, इस सोच के साथ केन्द्र का निर्माण किया गया है।
25 बीघा में बने प्रताप गौरव केन्द्र को सड़क दो हिस्सों में बांटती है। एक हिस्से में ऊंची पहाड़ी है जिस पर महाराणा प्रताप की बैठी हुई प्रतिमा स्थापित की गई है। यह प्रतिमा 57 फीट ऊंची 40 टन वजनी अष्ट धातु की बनाई गई है। इस प्रतिमा की ऊंचाई को लेकर भी विशेष कारण रहा है। केन्द्र से जुड़े कार्यकर्ता बताते हैं कि महाराणा प्रताप 57 वर्ष की आयु तक जीवित रहे, इसलिए इस प्रतिमा की ऊंचाई 57 फीट रखी गई है और बैठी हुई मुद्रा के पीछे उनके राजसंन्यासी और संघर्षपूर्ण जीवन को दर्शाने का उद्देश्य है। प्रतिमा के नीचे से निरंतर जल प्रवाह रखा गया है। इस जल प्रवाह को गंगा मैया के प्रतिरूप में दर्शाया गया है। इस प्रतिमा के समीप ही 500 दर्शकों की क्षमता वाला कुंभा सभागार बनाया गया है जिसमें सेमिनार सहित फिल्म का भी प्रदर्शन भी किया जा सकता है।
महाराणा प्रताप की प्रतिमा के सामने वाले हिस्से में मेवाड़ दर्शन दीर्घा सहित हल्दीघाटी विजय युद्ध दीर्घा, मेवाड़ स्फूर्ति दीर्घा, भारत दर्शन दीर्घा, राजस्थान गौरव दीर्घा बनाई गई है। हल्दीघाटी विजय युद्ध दीर्घा में 100 प्रतिमाएं लगाई गईं हैं जो महाराणा प्रताप के शस्त्रागार मायरा की गुफा में गुप्त मंत्रणा से लेकर पूरे हल्दीघाटी युद्ध तक के दृश्य बताती है। राजस्थान गौरव दीर्घा में राजस्थान के 24 महापुरुषों की आदमकद प्रतिमाएं लगाकर उनका व्यक्तित्व और कृतित्व लिखा गया है ताकि लोग उनके बारे में जान सकें। इसी तरह मेवाड़ स्फूर्ति दीर्घा में मैकेनिकल झांकियां सजाई गई हैं। इसी हिस्से में 250 दर्शकों की क्षमता का आधुनिक सभागार बनाया गया है जहां पर्यटक मेवाड़ के इतिहास से जुड़ी 35 मिनट की फिल्म देख सकते हैं।
रोबोट देता है जानकारी
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन को जाना और प्रताप गौरव केंद्र में स्थित हल्दीघाटी युद्ध दीर्घा, मैकेनिकल शो में मेवाड़ की लगभग 9 घटनाओं को रोबोट के माध्यम से 18 मिनट में जाना जा सकता है।
भारत दर्शन लाइट एंड साउंड शो
इस शो के माध्यम से दर्शक 18 मिनट में संपूर्ण भारत के दर्शन एवं 140 महापुरुषों के जीवन से रू-ब-रू होते हैं। भारत के तीर्थ, पवित्र नदियों व पर्वतों के बारे में भी जानकारी मिलती है।
एक वार में शत्रु को अश्व सहित चीरना
हल्दीघाटी के दर्रे से महाराणा प्रताप की सेना का युद्ध के लिए आना, प्रताप द्वारा बहलोल खान को तलवार के एक ही वार से घोड़े सहित चीरने के चित्रण सहित अन्य चित्रण को मैकेनिकल माध्यम से इस तरह दर्शाया गया है कि दर्शक पलक तक नहीं झपका पाते। मेवाड़ी स्फूर्ति रोबोटिक शो में विभिन्न श्रेष्ठ राजनयिकों मेवाड़ रत्नों एवं देवियों के जीवन चरित्र को दर्शाया गया है जिनमें महारानी पद्मिनी, बप्पा रावल, मीरां बाई, महाराणा हम्मीर, पन्नाधाय, महाराणा राजसिंह, हाड़ी रानी, बेगम आनी खान, महाराणा प्रताप एवं भामाशाह के जीवन दृश्य शामिल हैं।
मेवाड़ रत्न दीर्घा के अंतर्गत मेवाड़ के 30 महापुरुषों की प्रतिमा लगाई गई है जिन्होंने मेवाड़ की रक्षा के लिए अपने जीवन का उत्सर्ग कर दिया। प्रताप चित्र प्रदर्शनी के अंतर्गत राणा प्रताप के संपूर्ण जीवन को 80 चित्रों के माध्यम से समझाया व दर्शाया गया है। राजस्थान गौरव दीर्घा में राजस्थान के 24 महापुरुषों की आदमकद प्रतिमा यहां लगी है जिनसे हम उनके जीवन से परिचित हो सकते हैं।
भक्ति धाम
केन्द्र के एक कोने पर ऊंचाई पर नौ मंदिरों का समूह भक्ति धाम बनाया गया है। इन मंदिरों में मेवाड़ के आराध्य एकलिंगजी, श्रीनाथजी, द्वारकाधीशजी, चारभुजाजी, सांवरियाजी, चामुंडा माता, केसरियाजी, राम दरबार तथा गणेशजी के मंदिर शामिल हैं। यह भक्तिधाम अपने आप में एक तीर्थ का स्वरूप लेता जा रहा है।
6 माह में एकत्र हुए थे 11 करोड़
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने वर्ष 2002 में इस केन्द्र की परिकल्पना पर आरंभिक कार्य शुरू किया था। 18 अगस्त 2008 को संघ के तत्कालीन सरकार्यवाह मोहन भागवत ने इसका शिलान्यास किया था। अहमदाबाद के आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा एवं उदयपुर के इंजीनियर गोविन्दसिंह टांक ने इसकी रूपरेखा तैयार की। संघ के वरिष्ठ प्रचारकों सुरेशचंद्र, प्रकाशचंद्र और दुर्गादास ने इस केन्द्र को मूर्तरूप देने में निरंतर कार्य किया। लम्बे समय तक संघ प्रचारक ओमप्रकाश ने इस केन्द्र के निर्माण के दौरान इसकी देखरेख का दायित्व संभाला। राजस्थान के स्वयंसेवकों ने इसके लिए धनसंग्रह का बीड़ा उठाया और उस वक्त छह माह की अवधि में 11 करोड़ रुपये का संग्रहण एक कीर्तिमान बन गया।
नई पीढ़ी को जरूर लाएं
-यहां के कार्यकर्ता व पदाधिकारी कहते हैं कि इस गौरव केन्द्र का निर्माण नई पीढ़ी में राष्ट्रहित में सर्वस्व अर्पित करने के लिए तत्पर रहने की भावना स्थापित करने के लिए किया गया है। यहां की सकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति को सही दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित करे, यही उद्देश्य है। वे आग्रह करते हैं कि नई पीढ़ी को एक बार यहां का भ्रमण अवश्य कराना चाहिए। वे अपने देश के गौरवशाली शौर्यपूर्ण इतिहास के बारे में जानेंगे तब वे भारतवर्ष की सनातन सांस्कृतिक परम्परा को भी गहराई से समझ सकेंगे।
प्रतिदिन 100 से अधिक पर्यटक
केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना बताते हैं कि कोविड के कारण यहां भी पर्यटकों की आवाजाही पर असर पड़ा है। उससे पहले सामान्य तौर पर यहां प्रतिदिन लगभग 100 से अधिक पर्यटकों का आगमन था। शनिवार और रविवार को राजकीय अवकाश होने के कारण यह संख्या बढ़कर 500 से 700 होती रही है। विशेष अवसरों पर यह आंकड़ा दो हजार तक को पार कर चुका है। पूर्व में महाराणा प्रताप जयंती पर यह संख्या 3000 तक पहुंची थी। इसी तरह 26 जनवरी और 15 अगस्त को भी यह आंकड़ा हजार से पार रहता है। इस बार कोविड प्रोटोकाॅल के चलते महाराणा प्रताप जयंती पर गौरव केन्द्र में प्रवेश भले ही बंद है, लेकिन डिजिटल तकनीक के उपयोग से केन्द्र की ओर से 9 दिवसीय कार्यक्रमों की श्रंखला का दौर रखा गया है। इसमें बड़ी संख्या में देश-विदेश से लोग जुड़ रहे हैं और उन कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। इस बार महाराणा प्रताप जयंती समारोह का उद्घाटन 12 जून को संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने किया था। समापन 20 जून को केन्द्र सरकार में कला एवं संस्कृति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल करेंगे।
देश के हर कोने से आ रहे हैं पर्यटक
यहां आने वाले दर्शकों का मार्गदर्शन करने वाले मनीष मेघवाल बताते हैं कि यहां राजस्थान के विभिन्न जिलों सहित बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दिल्ली, पंजाब, असम, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर सहित कई राज्यों से भी पर्यटक यहां आ रहे हैं। विद्यालय-महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के समूह नियमित रूप से आते हैं। कई विद्यालयों ने इसे छोटी कक्षाओं के भ्रमण का स्थायी हिस्सा बना लिया है।
दूसरे चरण में गुफा होगी आकर्षण
दूसरे चरण के तहत यहां संग्रहालय, भामाशाह बाजार, अन्नपूर्णा गृह, वाॅटर शो का निर्माण जारी है। दूसरे चरण का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा जंगल जीवन दर्शन गुफा होगी जो सड़क के नीचे से केन्द्र के दोनों हिस्सों को आपस में जोड़ेगी।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)