पटना (Patna) । प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने अपने जन सभा में जन सुराज (Jan Swaraj) के जरिए राजनीति (Politics) में आने की न्यूनतम योग्यता (Minimum Qualifications) पर बात की. उन्होंने कहा कि ये तय करने की जरूरत है कि बिहार (Bihar) के युवा 10वीं फेल लोगों के नेतृत्व में काम नहीं करना चाहते हैं. तेजस्वी यादव का नाम लिए बगैर प्रशांत किशोर ने कहा कि याद रखिए, मैंने 10वीं फेल कहा है. 9वीं फेल नहीं कहा है.
पिछले 21 महीनों से चल रहे जन सुराज अभियान को 2 अक्टूबर को राजनीतिक दल बनाया जाना है. पटना के बापू सभागार में रविवार को युवा संवाद का आयोजन किया गया था. सभा को संबोधित करते हुए संयोजक प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज यहां के युवाओं की जिद है. जन सुराज हमलोगों का संकल्प भी है. जन सुराज एक व्यवस्था भी है.
लोगों को जनसुराज से जुड़कर चुनाव लड़ने की अपील
उन्होंने कहा कि जन सुराज एक एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें गरीब से गरीब घर का यहां आकर समाज के लिए, बिहार के लिए कुछ करना चाहता है. समाज और राजनीति में सुधार के लिए और अपने बच्चों के भविष्य को सुधारने के लिए कुछ करना चहता है तो आपको पैसे की चिंता नहीं करनी है. जाति की चिंता नहीं करनी है. चुनाव जीतने और हारने की चिंता नहीं करनी है. वह चिंता जनसुराज और अपने बेटे और भाई प्रशांत किशोर पर छोड़िये और बिहार को सुधारने के लिए खड़ा हो जाइए.
चुनाव लड़ने में शिक्षा की अनिवार्यता पर की बात
प्रशांत किशोर ने कहा कि शैक्षणिक योग्यता को भी एक कंडिशन बनाया जाए. पिछले बैठक में 15 हजार लोगों की बैठ में सहमति नहीं बनीं. किसी ने कहा, बीए, किसे ने कहा दसवीं, फिर लोगों ने कहा नहीं भैया 12वीं, किसी ने कहा होना ही नहीं चाहिए. सारे लोग जरा सोचकतर बताएं. क्या जन सुराज में पद के लिए, चुनाव लड़ने के लिए, पढ़ाई और डिग्री, क्वालीफिकेशन का क्राइटेरिया होना चाहिए या नहीं होना चाहिए.
दसवीं फेल कहकर बिना नाम लिए साधा निशाना
फिर प्रशांत किशोर ने कहा कि जब हम सभा कराते हैं तो लोग कहते हैं, डिग्री क्वालीफिकेशन का क्राइटेरिया होना चाहिए और सभा खत्म होते ही कहते हैं नहीं होना चाहिए. अब आपने कहा पढ़ाई का क्राइटेरिया होना चाहिए. क्योंकि बिहार के लोग दसवीं फेल लोगों के नेतृत्व में काम करना नहीं चाहिए. मैंने दसवीं फेल कहा है. नौवीं फेल नहीं कहा है.
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