नई दिल्ली: चुनावी रणनीतिकार (Election strategist) से नेता बने प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने पटना में बुधवार को एक कार्यक्रम को आयोजित कर अपनी पार्टी लॉन्च कर दी है. उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी का नाम जन सुराज ही होगा. अपनी पार्टी के द्वारा उन्हें बिहार में राजनीतिक परिदृश्य में तूफान आने की उम्मीद है. उन्होंने मनोज भारती को कार्यकारी का अध्यक्ष बनाया है.
पार्टी के लॉन्च के दौरान उन्होंने पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में बुधवार को भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि बहुत दिन से जन सुराज अभियान चल रहा है, पिछले दो ढाई सालों से चल रहा है. अब लोग पूछ रहे हैं कि हम पार्टी कब बनाएंगे. आप यहां पार्टी बनाने के लिए जुटे हैं. भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए, आज चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर जन सुराज को जन सुराज पार्टी के तौर में स्वीकार कर लिया गया है.
पीके ने अपने समर्थकों से पूछा गया कि नाम ठीक है, चुनाव आयोग के कहने से नहीं होगा. आप लोग मना करेंगे तो चुनाव आयोग के पास फिर से आवेदन होगा. जन सुराज पार्टी नाम ठीक है, सबने अप्रूव कर दिया. पीके ने दावा किया कि यहां 5 हजार से ज्यादा नेता आए हैं. पार्टी की शुरुआत पटना के वेटरनरी कॉलेज ग्राउंड में पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव, राजनयिक से नेता बने पवन वर्मा और पूर्व सांसद मोनाजिर हसन समेत कई प्रसिद्ध हस्तियों की उपस्थिति में की गई.
पार्टी की स्थापना किशोर द्वारा चंपारण से राज्य की 3,000 किलोमीटर से अधिक लंबी ‘पदयात्रा’ शुरू करने के ठीक दो साल बाद की गई थी, जहां महात्मा गांधी ने लोगों को एकजुट करने के लिए देश में पहला सत्याग्रह शुरू किया था. “नया राजनीतिक विकल्प” जो बिहार को उसके पुराने पिछड़ेपन से मुक्ति दिला सकता है.
लेखक और गणितज्ञ प्रोफेसर केसी सिन्हा ने शिक्षा के समृद्ध इतिहास और यहां के स्थानीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की जरूरतों पर जोर डाला. उन्होंने बताया कि बिहारी छात्र कितने प्रतिभाशाली हैं और उन्होंने अपने 50 वर्षों के शिक्षण अनुभव को रेखांकित किया. प्रोफेसर सिन्हा ने अपना भाषण के अंत में कहा कि हम सभी के लिए फ्री और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे. जन सुराज पिछले दो वर्षों से संचालित है. चुनाव आयोग ने हमें जन सुराज पार्टी मान लिया है. हर ऐसा व्यक्ति यहां आया है जो बिहार को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी अपनी मानता है.
वहीं, मंगलवार को उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि लोकसभा चुनाव परिणामों ने राहुल गांधी की कांग्रेस का नेतृत्व करने की क्षमता पर लगे सवालिया निशान को भी हटा दिया है, लेकिन उन्होंने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता को अभी-भी कई दूरियों को तय करना है. तभी देश उन्हें अपने नेता के रूप में स्वीकार कर सकेगा. उनके (गांधी के) समर्थक अब मानते हैं कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस को फिर से खड़ा किया जा सकता है, लेकिन एक और आयाम भी है. क्या देश ने उन्हें एक नेता के रूप में स्वीकार कर लिया है? मुझे ऐसा नहीं लगता.”
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