पुरी। सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने शनिवार ओडिशा सरकार को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार शीर्ष अदालत के फैसले के बाद भी वेदांता विश्वविद्यालय की जमीन किसानों को वापस नहीं देती है तो उसके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला दायर करेंगे। दरअसल, भूषण शनिवार को सुप्रीम कोर्ट से मिली वेदांता विश्वविद्यालय संघर्ष समिति की जीत का जश्न मनाने के लिए पुरी जिले के बेलाडाला गांव में किसानों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
उड़ीसा हाईकोर्ट के फैसले को रखा बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में उड़ीसा हाईकोर्ट के साल 2010 के फैसले को बरकरार रखा था, जिसने प्रस्तावित विश्वविद्यालय के लिए लगभग 6,000 एकड़ जमीन हासिल करने के लिए ओडिशा सरकार द्वारा शुरू की गई भूमि अधिग्रहण कार्यवाही को रद्द कर दिया था।
किसानों को जमीन लौटाना शुरू करें
भूषण ने कहा कि राज्य सरकार को प्रभावित किसानों को जमीन लौटाना शुरू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि जमीन का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ, इसलिए किसानों को उनके प्लॉट वापस मिलने चाहिए। साथ ही उन्होंने उस तरीके की भी निंदा की, जिस तरह से राज्य और केंद्र सरकारें ओडिशा में विभिन्न कॉर्पोरेट फर्मों को खदानें आवंटित कर रही हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि खदानों का आवंटन मानदंडों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। कहा कि अगर यह प्रथा जारी रही, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत कम खनिज बचेगा। भूषण ने नियमगिरि, काशीपुर और बोलांगीर के उदाहरणों का हवाला दिया, जहां कॉर्पोरेट खनन कार्यों को सुविधाजनक बनाने के लिए स्थानीय आदिवासियों को बेदखल कर दिया गया था।
जीव-जंतु लोगों के लिए जीवन रेखा
वहीं, कार्यक्रम में कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि प्राकृतिक वनस्पति और जीव-जंतु लोगों के लिए जीवन रेखा के रूप में काम करते हैं और स्थानीय लोग प्राकृतिक संसाधनों पर अपने अधिकारों को बनाए रखने के लिए लड़ रहे हैं। ओपीसीसी अध्यक्ष शरत पटनायक और वरिष्ठ कांग्रेस नेता निरंजन पटनायक ने वेदांता समूह द्वारा विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए 6,000 परिवारों की कृषि भूमि आवंटित करने के लिए बीजद और भाजपा सरकारों की आलोचना की। किसान रैली का आयोजन करने वाले उमाबल्लव रथ ने कहा कि किसानों को उनकी जमीन तुरंत वापस मिलनी चाहिए।
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