इन्दौर। नए बनाए गए अन्नपूर्णा मंदिर (Annapurna Temple) में मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा (Prana Pratishta) का भव्य समारोह 31 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। समारोह के अंतर्गत 7 फरवरी तक आयोजन चलेंगे। करीब 60 साल पुराने इस मंदिर में 6600 वर्गफुट का नया निर्माण किया गया है और इसमें एक कील का भी उपयोग नहीं किया गया है। 81 फीट ऊंचे इस मंदिर में 51 स्तंभों पर 300 से अधिक देवी-देवताओं की मूर्तियां (idols of gods and goddesses) उकेरी गई हैं।
अब भक्तों को नवशृंगारित और भव्य मंदिर (Newly decorated and grand temple) में मां अन्नपूर्णा के दर्शन होंगे। नए मंदिर का निर्माण 3 साल में पूरा हुआ है और 22 करोड़ रुपए की लागत आई है। इसका प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव 31 जनवरी से शुरू हो रहा है। महोत्सव में 3 फरवरी को महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज के सान्निध्य तथा जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज की उपस्थिति में होगा। अन्नपूर्णा आश्रम के ट्रस्टी सदस्य विनोद एवं नीना अग्रवाल, दिनेश मित्तल, टीकमचंद गर्ग एवं श्याम सिंघल ने बताया कि 31 जनवरी से 7 फरवरी तक सहस्त्रचंडी महायज्ञ भी होगा। समारोह के दौरान पूरे देश से प्रमुख मठ-मंदिरों, अखाड़ों एवं आश्रमों से जुड़े संत, विद्वान कथाकार, भक्त एवं लाखों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित होंगे। यह मंदिर अब देश के प्रमुख 10 मंदिरों की श्रेणी में आ जाएगा।
उड़ीसा के कलाकारों ने उकेरी हैं मूर्तियां
मां अन्नपूर्णा के नौ स्वरूपों को उड़ीसा के 32 कलाकारों ने संगमरमर पर उकेरा है। सभा मंडप और गर्भगृह में 10 महाविद्या और 64 योगियों के दर्शन होंगे। वहां माता की लीलाओं के चित्रण एवं महाभारत के प्रसंग भी यहां देखने को मिलेंगे। अहमदाबाद के वास्तुकार सत्यप्रकाश ने मंदिर का वास्तुशिल्प तैयार किया है। महोत्सव के दौरान 2 फरवरी को रात 8 बजे सुप्रसिद्ध भजन गायिका कविता पोड़वाल भजनों की प्रस्तुति देंगी।
मुख्य आयोजन 3 फरवरी से
महोत्सव के तहत प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य आयोजन 3 फरवरी से शुरू होगा, जो जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि एवं अन्नपूर्णा पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज के कर कमलों से संपन्न होगा। कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में प्रतिमाओं का 1 फरवरी को अन्नाधिवास, 2 को शैयाधिवास, 3 को शिखर कलश प्रतिष्ठा, ध्वजारोहण के बाद अभिजीत मुहूर्त में मां की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न होगी। 4 से 7 फरवरी तक प्रतिदिन सप्तशती द्वारा हवन आदि शास्त्रोक्त अनुष्ठान होंगे। 7 फरवरी को सुबह पूर्णाहुति एवं महाआरती के साथ महोत्सव का समापन होगा।
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