हाईकोर्ट में लगी याचिका में प्रशासन का जवाब
इंदौर। शहर की सबसे पॉश कालोनी (posh colony) प्रगति विहार (Pragati Vihar) को प्रशासन ने अपने जांच प्रतिवेदन में अवैध बताया है। हाईकोर्ट में प्रस्तुत 10 पेज की जांच रिपोर्ट में बताया गया कि लगभग 100 एकड़ जमीन पर 70 भूखंडों की काटी गई प्रगति विहार कालोनी के लिए किसी विभाग की विधिवत अनुमति नहीं ली गई। वहीं बड़े-बड़े भूखंडों पर लोगों ने ही नगर तथा ग्राम निवेश से स्थल अनुमोदन करवाकर बंगले बनाए हैं। अवैध रूप से बनाए गए गेट और बेरिकेट्स हटाने को लेकर लगी याचिका के चलते बड़े-बड़े बंगलों की शहर की सबसे बड़ी पॉश कालोनी प्रगति विहार अब अवैध घोषित (declared illegal) हो गई है, जिस पर हाईकोर्ट (High Court) में आज सुनवाई होना है। पिछले दिनों हाईकोर्ट निर्देश पर ही अवैध गेट तोड़े गए थे।
इंदौर हाईकोर्ट में अभिभाषक रविन्द्रसिंह छाबड़ा (Ravindra Singh Chhabra) ने याचिका दायर की है, जिसमें इंटरविनर के रूप में ओपी गोयल ने भी अपना आवेदन दिया है। हाईकोर्ट के निर्देश पर बनी कमेटी ने कल अपनी 10 पेज की रिपोर्ट सौंप दी, जिसके अध्यक्ष कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) और सदस्य के रूप में आयुक्त निगम और संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश हैं। इस रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि कालोनाइजर ने किसी तरह की विधिवत अनुमति नहीं ली, बल्कि प्रगति विहार में जो अलग-अलग भूखंड लोगों को बेचे गए हैं उन्होंने सीधे नगर तथा ग्राम निवेश से स्थल अनुमोदन मंजूर करवाकर पंचायत और बाद में निगम से अनुमति लेकर भवन निर्माण किया है, लेकिन किसी सक्षम प्राधिकारी से कालोनी विकास की अनुमति का कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया, जिसके चलते प्रगति विहार वैध कालोनी की परिभाषा में ना आकर अवैध कालोनी की श्रेणी में आती है। यहां तक कि पानी, सिवरेज, सडक़ सहित अन्य व्यवस्थाएं भी अलग-अलग भवन स्वामियों द्वारा की गई और एसटीपी की भी कोई केन्द्रीयकृत व्यवस्था कालोनी में नहीं पाई गई। यहां तक कि अलग से पब्लिक यूटीलिटी के लिए भी कोई जगह नहीं छोड़ी गई और ना ही कालोनाइजर लाइसेंस विकास अनुमति, स्थल अनुमोदन सहित अन्य अनुमतियां ली गई। इसके चलते यह पूरी कालोनी अवैध है। अब कमेटी की इस 10 पेजी रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट में आज सुनवाई होना है। उल्लेखनीय है कि प्रगति विहार में 40-40 हजार स्क्वेयर फीट 70 भूखंड अवैध रूप से काटकर बेचे गए।
बिना विकास अनुमति तन गई प्रगति विहार
एक अभिभाषक की याचिका पर प्रगति विहार कॉलोनी के मुख्य मार्गों पर लगाए गए गेट प्रशासन द्वारा तोड़े जाने के बाद आ बैल मुझे मार वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए प्रगति विहार कॉलोनी संघ ने याचिका में इंटरविनर बनकर मुसीबत मोल ले ली। याचिका के संदर्भ में जवाब देते हुए प्रशासन ने पूरी कॉलोनी की पोल पट्टी खोलकर रख दी। याचिका में प्रगति विहार कॉलोनी की सडक़ सार्वजनिक है या निजी इस विवाद में प्रशासन ने जवाब देते हुए कहा कि प्रगति विहार कॉलोनी न केवल अवैध है, बल्कि स्वयं के आवास के लिए स्वीकृत मानचित्रों में नगर एवं ग्राम निवेश के प्रावधानों का भी उल्लंघन किया गया है। प्रगति विहार कॉलोनी में न तो विद्युत एवं जल कनेक्शन कॉलोनी के आधार पर लिए गए और न ही कॉलोनी विकास की अनुमति ली गई। कॉलोनी में सार्वजनिक पार्क भी नहीं छोड़े गए और मार्ग को भी निजी बताया जा रहा है।
कलेक्टर के साथ ही नगर निगम आयुक्त एवं संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश के याचिका के प्रत्युत्तर में दिए गए संयुक्त प्रतिवदेन में कहा गया कि प्रगति विहार कॉलोनी में विभिन्न व्यक्तियों द्वारा स्वयं के आवास हेतु पृथक-पृथक स्थल अनुमोदन प्राप्त कर नगर निगम से भवन अनुज्ञा के आधार पर निर्माण कार्य किया गया है, किन्तु नगर तथा ग्राम निवेश विभाग द्वारा प्रदत्त अनुज्ञा में जो शर्त रखी गई थी कि नगर निगम, ग्राम पंचायत एवं अन्य प्रचलित नियमों के अंतर्गत अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होगा तभी वह स्थल पर निर्माण कर सकेगा, किन्तु ऐसी कोई अनुमति किसी भी भवन निर्माता द्वारा प्राप्त नहीं की गई। अत: उपरोक्त आधार पर प्रगति विहार को नियमित कॉलोनी नहीं कहा जा सकता। प्रगति विहार में सक्षम प्राधिकारी से कॉलोनी विकास की अनुमति प्राप्त नहीं की गई। अत: यह कॉलोनी वैध कॉलोनी की परिभाषा में न आकर अवैध कॉलोनी की श्रेणी में आती है। कॉलोनी में टीएनसी द्वारा स्थल अनुमोदन किए जाते समय पहुंच मार्ग देखा जाना चाहिए। संलग्न अनुमतियों में भूमि के सम्मुख मार्ग पूर्व से ही दर्शाया गया था। इससे स्पष्ट होता है कि विक्रेता द्वारा पूर्व से ही मार्ग की भूमि को छोडक़र शेष भूमि का विक्रय किया गया। अत: उक्त मार्ग निजी नहीं कहा जा सकता। चूंकि यह कॉलोनी अवैध रूप से निर्मित की गई है, इसलिए इसके समस्त मार्ग सार्वजनिक श्रेणी के हैं न कि प्राइवेट श्रेणी के। प्रगति विहार कॉलोनी बनाने की न तो कोई योजना बनाई गई न ही विकसित की गई। फिर भी स्थल अनुमोदनों के अधिकांश मानचित्रों में वर्तणान मार्ग दर्शाया गया है। अत: स्पष्ट है कि भूमि स्वामियों ने उक्त क्षेत्र मार्ग के निर्माण हेतु दिया है।
कॉलोनी में सार्वजनिक उद्यान ही नहीं
यदि कॉलोनी वैध होती तो उसमें सार्वजनिक उद्यान छोड़ा जाता, लेकिन प्रगति विहार कॉलोनी में कोई भी सावजनिक उद्यान नहीं है। इसके अलावा नियमित कॉलोनी में ईडब्लूएस के लिए भूखंड छोड़े जाते हैं, जो केवल कॉलोनी में नहीं, बल्कि बहुमंजिला भवनों में भी आवश्यक होते हैं, लेकिन प्रगति विहार में ऐसे किसी प्रावधान का पालन नहीं किया गया।
20 भवन बन चुके… 2 निर्माणाधीन… अनुमति में उल्लंघन पर निर्माण तोडऩे का प्रावधान
प्रशासन ने याचिका में प्रत्युत्तर के पूर्व जांच में पाया कि प्रगति विहार में 20 भवनों का निर्माण पूर्ण हो चुका है तथा 2 भवन निर्माणाधीन हैं। नगर तथा ग्राम निवेश विभाग द्वारा प्रदत्त अनुमतियों तथा स्थायी निकाय द्वारा प्राप्त भवन निर्माण अनुमति में उल्लंघन करने पर अवैध निर्माण हटाए जाने का प्रावधान हैै। प्रशासन के इस जवाब के बाद पूरी प्रगति विहार कॉलोनी पर निगम की तलवार लटक गई है।
कालोनी शुल्क जमा कराए बिना विद्युत कनेक्शन… सीवर के मापदंडों का भी पालन नहीं
उधर याचिका में विद्युत कंपनी के भी पत्र का उल्लेख किया गया, जिसमें बताया गया कि पृथक-पृथक भवन स्वामियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से विद्युत कनेक्शन लिए गए। प्रगति विहार में स्ट्रीट लाइट हेतु कनेक्शन प्रगति विहार रहवासी संघ के अध्यक्ष द्वारा मांगे जाने पर दिया गया। कॉलोनी में विद्युतीकरण का कार्य किसी नक्शे के आधार पर नहीं हुआ है। यदि प्रगति विहार में सुनियोजित-नियमानुसार कॉलोनी विकसित की जाती तो उस दशा म.प्र. विद्युत विभाग से नियमानुसार विद्युत लोड की गणना कर शुल्क जमा कर उनके सुपरविजन में विद्युतीकरण का कार्य किया जाता। अत: उक्त कॉलोनी अवैध कॉलोनी की श्रेणी में आती है। इसके अलावा पानी तथा सीवरेज के लिए भी भवन स्वामियों ने अपने परिसरों में व्यवस्था की है। चूंकि कॉलोनी अवैध रूप से विकसित हुई है, इस कारण सीवर के मापदंडों का पालन नहीं किया गया।
प्रगति विहार रहवासी संघ भी अवैध
प्रशासन द्वारा दाखिल जवाब में कहा गया कि 10 जनवरी 2013 को गठित प्रगति विहार एसओपी एक अपंजीकृत संस्था होने से अवैध है। उक्त सोसायटी द्वारा किया गया कोई भी कार्य वैध नहीं माना जा सकता। उल्लेखनीय है कि उक्त सोसायटी द्वारा ही उच्च न्यायालय में इंटरविनर की याचिका दाखिल की गई है।
नक्शे में 18 मीटर चौड़े मार्ग बताए
इंदौर विकास योजना में उक्त मार्ग को 18 मीटर तथा उससे अधिक चौड़ा दर्शाया गया है, लेकिन प्रगति विहार में विकास योजनाओं का उल्लंघन हुआ है। इसमें आंतरिक सडक़, खुला एवं हरित क्षेत्र, दुकानें, शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य सुविधाओं आदि के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है।
प्रशासन ने दिए तथ्य …इसलिए अवैध है प्रगति विहार
– कृषि भूमि को पृथक-पृथक रूप मेें विक्रय किया गया, जिससे अवैध कॉलोनाइजेशन की मंशा स्पष्ट होती है।
– कॉलोनाइजर द्वारा लाइसेंस लिए बिना कॉलोनी का विकास किया गया।
– कॉलोनाइजर द्वारा शासकीय विभागों से नियमानुसार शुल्क जमा करते हुए अनुमति नहीं ली गई।
– कॉलोनी में कमजोर आय वर्ग एवं निम्न आर्य वर्ग हेतु नियमानुसार भूमि आरक्षित नहीं की गई।
– स्थल अनुमोदन तथा डायवर्शन ऑर्डर में जो पहुंच मार्ग दर्शाए गए उन पर निजी दावा किया गया।
– विद्युत एवं वाटर कनेक्शन के लिए नियमानुसार कॉलोनी द्वारा आवेदन नहीं किया गया।
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