भोपाल। विद्युत उत्पादन पर इन दिनों कोयले का संकट गहराया हुआ है। चिंताजनक बात यह भी है कि बिजली कंपनियां को घटिया ग्रेड का कोयला ज्यादा सप्लाई हो रहा है। कोयले की चोरी, जमाखोरी, कालाबाजारी, उठाईगीरी से पूरा सिस्टम हलाकान है। इसके चलते थर्मल पावर प्लांट का संचालन मुश्किल हो रहा है। हालांकि, बिजली विभाग गुणवत्ता का आंकलन कर घटिया ग्रेड पर बड़े जुर्माने का दावा करता है। पुख्ता सुरक्षा के लिए तकनीकी और ऑनलाइन सिस्टम की मदद की बात भी कही जा रही है। कोयले से जुड़ी अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण और निगरानी के लिए जिम्मेदारों ने ‘खनन प्रहरीÓ मोबाइल ऐप तैयार किया है। कोयला खान निगरानी प्रबंधन प्रणाली (सीएमएसएमएस) भी शुरू की है। जबलपुर. विभागीय आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में घटिया कोयला की सबसे ज्यादा सप्लाई संजय गांधी ताप विद्युतगृह बिरसिंहपुर में की गई। बीते पांच साल में खराब ग्रेड के कोयले के लिए कोल इंडिया से 693 करोड़ रुपए ऑनरिकॉर्ड वूसली की गई।
जानकारों का मानना है कि भीतरखाने इससे कहीं अधिक गफलत चलती है, लेकिन पकड़ी नहीं जाती। इसके विपरीत इसी प्लांट में निर्धारित गुणवत्ता से बेहतर क्वालिटी के कोयला सप्लाई पर कोल इंडिया को केवल 11 करोड़ का भुगतान किया गया। अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचई ने घटिया कोयला सप्लाई पर 34 करोड़ वसूला। लेकिन, वह बेहतर गुणवत्ता के कोयले के लिए तरस गया। पांच साल में कोई अतिरिक्त देय का मौका नहीं आया। 2016 से 2021 के बीच सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना खंडवा और सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी में करोड़ों रुपए वसूले गए।
बड़ी मात्रा में कोयले की बरामदगी
देशभर में कोल इंडिया ने अवैध खनन और भंडारण के 17 मामले दर्ज कराए हैं। प्रदेश में कोल इंडिया की सहायक कंपनी एनसीएल क्षेत्र में कोयले की 87 टन मात्रा बरामद की गई। इसकी कीमत लाखों में आंकी गई है। अधिकारियों का कहना है कि सीआइएल के सुरक्षाकर्मी समय-समय पर छापा मारते हैं। इसमें राज्य की कानून-व्यवस्था से सम्बंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को अभियान से जोड़ा जाता है। हालांकि, एसईसीएल और डब्ल्यूसीएल कंपनी एरिया में कोयले के अवैध उत्खनन और भंडारण का बीते एक साल में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।
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