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    भीषण गर्मी में Power Cut की वजह कोयले की कमी नहीं, जानें इसकी पूरी सच्चाई

  • April 28, 2022

    Electric Power Substation

    नई दिल्ली। समय से पहले गर्मी (heat) शुरू होने से देशभर में बिजली की मांग (power demand) काफी बढ़ गई है. इसका असर भारी बिजली कटौती (massive power cut) के रूप में देखा जा रहा है. हाल ही में इस तरह की खबरें आई थीं कि बिजली उत्पादन करने वाले संयंत्र (power generation plants) कोयले की कमी (shortage of coal) से जूझ रहे हैं, जिस वजह से मुंबई, दिल्ली, लखनऊ सहित देश के कई शहरों और इलाकों में बिजली की कटौती हो रही है।

    मांग बढ़ने और कोयले की कमी की वजह से उत्पादन प्रभावित हो रहा है और बिजली कटौती हो रही है, यह बात पूरी तरह से सच नहीं है। यह आधी-अधूरी सच्चाई है. इसके पीछे की पूरी कहानी तो कुछ और ही है। आज हम आपको इसके पीछे की पूरी सच्चाई बताएंगे।


    ये है असल वजह
    एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के पावर सेक्टर की कहानी दूसरे सेक्टर से बिल्कुल अलग है. दरअसल, इस क्षेत्र की कंपनियों को भुगतान की समस्या से जूझना पड़ रहा है। कोयला उत्पादन करने वाली सरकारी कंपनी कोल इंडिया का बिजली उत्पादक कंपनियों पर 12,300 करोड़ रुपये बकाया है। इसके बावजूद कोल इंडिया बिजली उत्पादक कंपनियों को कोयला बेच रही है. इसी तरह, बिजली उत्पादन कंपनियों का बिजली वितरण कंपनियों पर 1.1 लाख करोड़ रुपये का बकाया है. इतनी बड़ी राशि का भुगतान नहीं होने के बावजूद उन्हें उन्हीं कंपनियों को बिजली बेचनी पड़ रही है।

    डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों का घाटा 5 लाख करोड़ के पार
    ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती. रिपोर्ट के मुताबिक, बिजली वितरण कंपनियों का घाटा बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है. कई राज्यों की सरकारों ने मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है. इसका असर इन कंपनियों पर सीधे तौर पर पड़ रहा है, जबकि उसके मुकाबले टैरिफ बढ़ाने में उन्हें तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.

    कोल क्राइसिस नहीं पेमेंट क्राइसिस है बड़ी समस्या
    पेमेंट संकट का असर पूरी सप्लाई चेन पर पड़ रहा है. इसकी कड़ियां एक-दूसरे से जुडी हुई हैं. न तो कोल क्राइसिस और न ही पावर क्राइसिस की वजह से बिजली कटौती हो रही है. इसकी असल वजह पेमेंट क्राइसिस है।

    इस बीच, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने बताया कि 26 अप्रैल को बिजली की मांग बढ़कर अपने सर्वोच्च स्तर 201 गीगावाट पर पहुंच गई. बिजली की मांग पहले कभी इस स्तर पर नहीं पहुंची थी. मई-जून में इसके बढ़कर 215-220 गीगावट पर पहुंचने का मंत्रालय ने अनुमान लगाया है।

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