नई दिल्ली । भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने 150 करोड़ रुपये की लागत से खदानों से बिजली संयंत्रों (power plants) तक अधिक कोयला (Coal) ले जाने के लिए 2,179 क्षतिग्रस्त बोगियों की मरम्मत की है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। देश में असामान्य रूप से भीषण गर्मी के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। यही वजह है कि अधिकारियों को आउटेज को रोकने के वास्ते कोयला भंडारण करने के लिए हाथ-पांव मारते देखा जा सकता है।
राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “बिजली संकट और कोयले की ढुलाई के दबाव के साथ, भारतीय रेलवे बोगियों (वैगन) की मरम्मत में तेजी लाने के लिए लगातार काम कर रहा है ताकि बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति प्रभावित न हो। हमने क्षतिग्रस्त बोगियों की मरम्मत के लिए पांच नई फैसिलिटी स्थापित की हैं।”
भारत में इस साल की शुरुआत में गर्मी ने दस्तक दे दी, और मार्च रिकॉर्ड पर सबसे गर्म महीना था। मौसम ब्यूरो ने भविष्यवाणी की है कि उच्च तापमान मई तक जारी रहने की उम्मीद है। रविवार को पीक बिजली की मांग रिकॉर्ड 191,216 मेगावाट थी, और 207 मेगावाट की कमी थी। कोयले से चलने वाले संयंत्र देश में बिजली उत्पादन का मुख्य आधार हैं और संयंत्रों में कोयले की कमी हो गई है, जिससे संकट पैदा हो गया है।
जब से बिजली संयंत्रों द्वारा किराए पर लिए गए निजी ठेकेदारों ने जेसीबी का इस्तेमाल करके कोयले की अनलोडिंग शुरू की है, तब से कोयला बोगियों को नुकसान रेलवे के लिए चिंता का विषय बन गया है। यह पहले मैन्युअल रूप से किया जाता था।
एक कोयला बोगी की मरम्मत पर लगभग ₹5 लाख से ₹10 लाख खर्च किए जाते हैं। अधिकारी ने कहा, “जेसीबी ने बोगियों के अंदरूनी हिस्से को हिट किया, जिससे गंभीर क्षति हुई, जिसके परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त बोगियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।”
बिजली संकट को देखते हुए रेलवे ने कोयला रेक के लिए रास्ता बनाने के वास्ते अब तक 42 से ज्यादा यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया है। इसने कोयला ढोने वाली कार्गो ट्रेनों की औसत दैनिक लदान को बढ़ाकर प्रतिदिन 400 से अधिक कर दिया है, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक है। एक रेक में 84 बोगियां तक होती हैं।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 1 जनवरी को कोयले ले जाने वाले लगभग 9,982 बोगियों को क्षतिग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, जिसे 2 मई को घटाकर 7,803 कर दिया गया है। स्थिति का जायजा लेने के लिए रेलवे सभी परिचालन क्षेत्रों के साथ बैठक कर रहा है। बैठकों में मौजूद एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘पूर्वी तट, पूर्वी मध्य, पश्चिम मध्य और दक्षिण पूर्व मध्य जैसे क्षेत्रों के अधिकारियों ने बिजली संयंत्रों को कोयले की आवाजाही के मुद्दों पर प्रकाश डाला है।’
उन्होंने कहा, “कोयला स्टॉक की उपलब्धता में कमी के कारण, कोयले की लदान की प्रतीक्षा कर रहीं बोगियों के टर्नओवर का समय एक सप्ताह से बढ़कर लगभग 15 दिन हो गया है। हालांकि, ऐसी परिस्थितियों से निपटने और कोयले की आवाजाही में तेजी लाने के लिए, हम अपने लगभग 50 क्षतिग्रस्त बोगियों का भी उपयोग कर रहे हैं।”
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