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देश में घटकर अब कितनी रह गई गरीबी, NITI आयोग रिपोर्ट के सर्वे ने बताया हाल

February 26, 2024

नई दिल्‍ली (New Dehli)। NITI आयोग ने राहत (commission relief)की खबर दी है। CEO बीवीआर सुब्रमण्यम(CEO BVR Subramaniam) ने देश में गरीबी घटकर 5 फीसदी (Poverty reduced to 5 percent)पर आने की बात कही है। दरअसल, हाल ही में सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से ताजा सर्वे जारी(Latest survey released) किया गया है, जिसमें पता चल रहा है कि ग्रामीण खपत मजबूत बनी हुई है और शहरी खपत में अंतर कम होता जा रहा है। गरीबी का स्तर उपभोग खर्च स्तर के आधार पर तय किया जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, सुब्रमण्यम ने कहा, ‘इस सर्वे डेटा के आधार पर देश में गरीबी का स्तर 5 फीसदी के आसपास या इससे कम हो सकता है।’ आंकड़े बताते हैं कि साल 2011-12 में भोजन पर खर्च 53 प्रतिशत था, जो 2022-23 में घटकर 46.4 पर आ गया है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि घरेलू उपभोग खपत में तेजी से बदलाव आया है, जहां भोजन और अनाज की हिस्सेदारी कम हुई है।


रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रिज, टीवी मेडिकल केयर और ट्रांसपोर्टेशन या परिवहन के क्षेत्र में खर्च बढ़ा है। जबकि, अनाज और दालों पर होने वाला खर्च कम हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे दिखाता है कि वर्तमान की कीमतों पर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति उपभोग खर्च 2011-12 में 1430 रुपये से बढ़कर 2022023 में 3772 पर पहुंच गया है।

क्या बदला

रिपोर्ट में सर्वे के हवाले से बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में एक ओर जहां हर माह खपत में भोजन की हिस्सेदारी 2011-12 में 53 प्रतिशत से कम हो कर 2022-23 में 46.4 फीसदी पर आ गई है। वहीं, गैर-भोजन खर्च 47.15 प्रतिशत से बढ़कर 54 प्रतिशत पर पहुंच गया है। शहरी क्षेत्रों में आंकड़े इसी तरह के संकेत दे रहे हैं। भोजन पर खर्च कम होकर 43 फीसदी से 39.2 फीसदी हो गया है और गैर-भोजन खर्च 57.4 प्रतिशत से बढ़कर 60.8 फीसदी पर आ गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, सीईओ सुब्रमण्यम का कहना है, ‘भोजन के मामले में पेय पदार्थ, प्रोसेस्ड फूड, दूथ और फलों की खपत बढ़ी है। ये और भी ज्यादा विविध और संतुलित खपत क संकेत दे रहे हैं।’

साल 2014 में RBI यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन की अगुवाई वाली पैनल ने शहरी क्षेत्रों में 1407 रुपये के हर महीने प्रति व्यक्ति खर्च को अनुमानित गरीबी रेखा बताया था। जबकि, ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 972 रुपये पर था। अब ताजा आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों में निचली 5-10 फीसदी आबादी की औसत मासिक उपभोग खर्च 1864 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 2695 रुपये है।

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