डेस्क। सनातन धर्म में गरुड़ पुराण को विशेष दर्जा दिया गया है. इसे महापुराण कहा जाता है और इसके अधिष्ठातृ देव विष्णु हैं. हिंदू धर्म में ज्यादातर लोग गरुड़ पुराण का पाठ किसी की मृत्यु के बाद कराते हैं, क्योंकि ऐसा करने से मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को सद्गति प्राप्त होती है. चूंकि इसमें मृत्यु और मृत्यु के बाद की तमाम स्थितियों का वर्णन किया गया है, इसलिए तमाम लोगों का मानना है कि गरुड़ पुराण को सिर्फ किसी की मृत्यु के बाद ही सुनना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं है, ये सिर्फ एक भ्रांति है. गरुड़ पुराण को कभी भी सुना जा सकता है.
वास्तव में गरुड़ पुराण एक ऐसा पुराण है जो व्यक्ति को सद्कर्म करने के लिए प्रेरित करता है. इसमें जीवन से जुड़ी ऐसी तमाम नीतियों के बारे में बताया गया है जो आपको धर्म की राह दिखाने के साथ आपके पूरे जीवन को बदलकर रख सकती हैं. कई ऐसे अचूक उपाय हैं जिनके बारे में आज लोग जानते ही नहीं. गरुड़ पुराण में संजीवनी मंत्र और गरीबी दूर करने वाले मंत्र का भी जिक्र किया गया है. मान्यता है कि इस मंत्र से मृत व्यक्ति को भी जीवित किया जा सकता है.
ये है संजीवनी मंत्र
गरुड़ पुराण में एक ऐसा मंत्र बताया गया है जिसे यदि सिद्ध करके मृत व्यक्ति के कान में फूंक दिया जाए तो उसके शरीर में फिर से प्राण वापस आ सकते हैं. मंत्र है – यक्षि ओम उं स्वाहा .
इस मंत्र को सिद्ध करने के अलावा इसके प्रयोग के बाद के भी कुछ नियम बताए गए हैं. पूरे नियमों को जानने के बाद ही किसी जानकार के मार्गदर्शन में संजीवनी मंत्र का प्रयोग करना चाहिए.
गरीबी दूर करने के लिए
जो लोग लंबे समय से गरीबी झेल रहे हैं, तमाम प्रयासों के बावजूद गरीबी का दंश दूर नहीं होता, तो ऐसे लोगों के लिए गरुड़ पुराण में विशेष मंत्र बताया गया है. मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से कुछ समय में गरीबी दूर हो जाती है और व्यक्ति संपन्न हो जाता है. मंत्र है – ॐ जूं स:
इसके अलावा गरुड़ पुराण में श्रीविष्णु सहस्त्रनाम की महिमा का वर्णन किया गया है और कहा गया है कि यदि छह माह तक कोई व्यक्ति इस पाठ को करे तो उसके जीवन की हर बाधा दूर हो सकती है और उसकी कोई भी मनोकामना पूरी हो सकती है.
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