– डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
दुनिया के देशों में आतंकी गतिविधियों में होने वाली जनहानि की तुलना सड़कों के गड्ढों से होने वाली दुर्घटना व मौत से करना उचित नहीं लेकिन सड़क के गड्ढों के कारण होने वाली मौतों का बढ़ता आंकड़ा सोचने के लिए विवश जरूर करता है। आतंकी घटनाओं को रोकना बहुत कठिन और खर्चीला है लेकिन दुर्घटना रोकने के लिए सड़कों की हालत ठीक रखना ज्यादा मुश्किल नहीं। इसके बावजूद दुनिया के देशों में आतंकी गतिविधियों की वजह से जितने लोग मारे जाते हैं, उससे कहीं ज्यादा मौतें सड़क दुर्घटनाओं में हो रही है।
वैश्विक आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो 2021 में आतंकवादी गतिविधियों के कारण 5226 लोग मारे गये। वहीं, अकेले अमेरिका में 2021 में सड़कों के गड्ढों के कारण हुई दुर्घटनाओं में 15 हजार से अधिक लोग मारे गए। इसी तरह से इंग्लैंड में 1390, भारत में 3565, रूस में 431 लोग मारे गए। लोगों की मौत की यह संख्या आतंकवाद के कारण होने वाली मौतों की संख्या से चार गुणा अधिक है। कमोबेश दुनिया के देशों में आज भी सड़कों पर गड्ढों के कारण दुर्घटना से मौत के आंकड़ों में साल दर साल बढ़ोतरी होती जा रही है।
केन्द्रीय सड़क व परिवहन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में तमाम सड़क हादसों में सबसे अधिक मौत सड़कों पर बने गड्ढों के कारण हो रही है। अब सड़क में गड्ढों के कारण मौत की जिम्मेदारी सरकार या स्थानीय प्रशासन से इतर किसी और को दी भी नही जा सकती। मौत को अलग कर भी दिया जाए तो सड़कों पर गड्ढों से होने वाले अन्य नुकसान का ही विश्लेषण करें तो साफ हो जाता है कि यह कोई छोटा राजस्व हानि नहीं अपितु बड़ा नुकसान जुड़ा हुआ है। उदाहरण के तौर पर चेन्नई में कराए गए अध्ययन के अनुसार सड़क के गड्ढों के कारण प्रतिदिन 75 करोड़ के राजस्व का नुकसान होता है। यह बानगी मात्र है और इससे आसानी से कयास लगाया जा सकता है कि सड़क के गड्ढे जनहानि और धन हानि दोनों के प्रमुख कारण हैं।
ऐसा नहीं है कि सरकारें या दुनिया के देश इस समस्या को लेकर गंभीर नहीं हैं पर जो नतीजे साल दर साल देखने को मिलते हैं वह अपने आप में गंभीर है। इसे लेकर वैश्विक गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि इंग्लैंड में गड्ढों होने वाले नुकसान पर नागरिकों को मुआवजा देने का प्रावधान है। दुनिया के देशों द्वारा भी सड़कों के गड्ढों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं व मौतों को लेकर बड़े-बड़े राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन, सेमिनार, गोष्ठियां, जनचेतना रैलियां होती रहती हैं तो सड़क निर्माण में लगे इंजीनियरों व अन्य कार्मिकों को शिक्षण प्रशिक्षण दिया जाता है। यह भी साफ है कि गड्ढों के जो प्रमुख कारण है वे भी किसी से छिपे हुए नहीं हैं। मोटे रूप से कहा जाए तो सड़कों की खराब डिजाइन, हल्की सड़क निर्माण सामग्री, सड़क निर्माण मानकों की अनदेखी, सड़कों पर पानी भरने, रखरखाव व देखरेख में लापरवाही, ठेकेदारों व अधिकारियों की लालची प्रवृति, सड़कों के मरम्मत कार्य में लापरवाही, गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देने, सड़कों पर पानी की सही निकासी नहीं होने और इसी तरह के कई कारण हैं जिनके कारण सड़कों पर गड्ढे बन जाते हैं। देखा जाए तो थेड़ी से अनदेखी, लापरवाही और छोटे से लालच के कारण यही सड़कें मौत का कारण बन जाती हैं। गड्ढों के कारण दुर्घटना के साथ अन्य नुकसानों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वाहनों के कल-पुर्जों, टायर आदि के नुकसान की भी अनदेखी नहीं की जा सकती।
पिछले दिनों केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क निर्माण में होने वाली लापरवाही के लिए संबंधित इंजीनियर्स व अन्य को जिम्मेदार बनाने, समुचित रखरखाव, ड्रोन से निगरानी और लोगों को टोल नंबर पर शिकायत करने जैसी सुविधाएं या कदम उठाने की पहल की है। इसी तरह से यह प्रावधान भी कई राज्य सरकारों द्वारा किए गए है व किए जा रहे हैं कि निश्चित समय सीमा से पहले सड़क क्षतिग्रस्त हो जाती है तो उसकी जिम्मेदारी सड़क बनाने वाले ठेकेदार की होगी। पर इसका कितना पालन हो रहा है यह किसी से छिपा नहीं हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि आज एक से एक नई तकनीक आ गई है। इसमें सड़क निर्माण की तकनीक भी शामिल है। पानी भरने वाले स्थानों पर सीमेंट कंक्रीट की सड़कें बनने लगी हैं पर सड़कों की गुणवत्ता पर आए दिन प्रश्न उठते रहते हैं। हालात यहां तक हो गए है कि टोल सड़कों पर भी सड़कों के हालात अब ज्यादा अच्छे देखने को नहीं मिल रहे हैं। आखिर गड्ढों या अन्य कारणों से किसी भी तरह की जनहानि या धनहानि होती है तो वह राष्ट्रीय नुकसान ही है। इसलिए इस क्षेत्र में कार्य कर रहे सरकारी व गैरसरकारी संस्थाओं को आगे आना होगा और कम से कम कम सड़कों के गड्ढों को तो मौत का कारण नहीं बनने दिया जाना चाहिए। केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ ही राज्यों के सड़क परिवहन मंत्रालयों खासतौर से सड़क निर्माण में जुटी संस्थाओं को दुर्घटनामुक्त सड़कों के निर्माण के साथ ही सड़कों के रखरखाव के प्रति ध्यान देना होगा।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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