अब अगर कहीं बच्चे मिले भी तो भोपाल से अनुमति के बाद ही शुरू होगी कागजी प्रक्रिया
इंदौर। सरकार द्वारा महामारी (Epidemic) में जिन बच्चों (Children) के सिर से मां-बाप का साया उठ चुका है, उनको सहायता करने के लिए योजना शुरू की गई है। योजना के अंतर्गत पूरे मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में चार हेल्प लाइन (Helpline) नंबरों के जरिए ऐसे बच्चों को ढूंढकर उनके दस्तावेज ऑनलाइन सरकारी पोर्टल (Online Government Portal) पर अपलोड किया जा रहा था। शासन के आदेश पर वह पोर्टल कल रात से बंद कर दिया गया है। अब अगर मध्यप्रदेश के किसी भी जिले, शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में अनाथ बच्चे मिलेंगे तो उन्हें पहले भोपाल से अनुमति लेनी पड़ेगी, उसके बाद स्थानीय अधिकारियों द्वारा कागजी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। महिला बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) के अधिकारियों के मुताबिक इंदौर जिले में अब तक 53 अनाथ बच्चे मिले हैं, जिनके सारे डाक्यूमेंट्स (Documents) ऑनलाइन कर 21 साल से ज्यादा उम्र वालों को उनके खाते में और जो इससे कम उम्र के हैं उन बच्चों और उनके वैध संरक्षक के खाते में राशि डाली जा रही है।
सभी अनाथ बच्चों की राशन पर्ची भी बनाई
बाल संरक्षण अधिकारी अविनाश यादव (Child Protection Officer Avinash Yadav) ने बताया कि इंदौर जिले में जो 53 अनाथ बच्चे मिले हैं, उन्हें हर माह 5 हजार की सहायता तो दी ही जा रही है, वहीं सभी बच्चों की राशन पर्ची भी बना दी गई है। इन्हें हर माह कंट्रोल दुकानों (Control Shops) के जरिए राशन भी नि:शुल्क प्रदान किया जाएगा। इंदौर जिले (Indore District ) में जो अनाथ बच्चे मिले हैं वे मुख्य रूप से विष्णुपुरी, गौरी नगर, राऊ, एमआर-10, लिंबोदी, पाटनीपुरा और अग्रवाल नगर सहित अन्य कालोनियों के हैं।
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