- नदी में विसर्जन के बाद बड़ी मात्रा में निकल रहा है पीओपी का मलबा
उज्जैन। शहर में अनेक सामाजिक संस्थाओं ने गणेशजी की प्रतिमा मिट्टी की बैठाने की अपील की लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं दिखा। अधिकांश संगठनों ने प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियाँ बैठाई और नदी में उन्हें विसर्जित कर दिया। अब नदी में केमिकल और घास फूस तथा लकड़ी के ढाँचे बहते हुए दिखाई दे रहे हैं।
शहर में लोकमान्य तिलक गणेश उत्सव समिति ने मिट्टी के गणेश की प्रतिमा स्थापित करने की अपील की थी और नि:शुल्क 351 प्रतिमाएँ शहर में स्थापित भी करवाई थी लेकिन इसके बावजूद प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियाँ भी बड़ी मात्रा में शहर में अनेक संगठनों ने बैठाई थी। इन मूर्तियों को बनाने में खतरनाक रासायनिक केमिकल रंगों का उपयोग होता है जो नदी के जल में विसर्जित होने के बाद जल को प्रदूषित कर देता है। विसर्जन के चार दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन अभी तक नदी में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों के अवशेष बहकर आ रहे हैं। आज सुबह रामघाट के समीप छोटी रपट की जो पुलिया बनी हुई है इस पुल के पास गणेशजी की मूर्तियों के लकड़ी के ढांचे बड़ी संख्या में इक_े हो गए थे और घास फूस भी नदी में अटक गया था जिसे सफाई कर्मियों ने आज निकाला। इसके अलावा बड़ी संख्या में पॉलीथिन और अन्य सामग्री भी नदी में डाली गई जो नदी को प्रदूषित करती है।