वेंटिकन सिटी। पोप फ्रांसिस (Pope Francis) ने मंगलवार को कैथोलिक चर्चों(Catholic Churches) से जुड़े कानूनों में बड़े बदलाव(major changes in laws) किए। बताया जा रहा है की पिछले चार दशकों में ये सबसे बड़े बदलाव हैं। चर्च से जुड़े कानूनों में बदलाव के बाद अब पादरियों के लिए नियम और भी सख्त(The rules for the priests are even more strict) हो गए हैं। कानूनों में सबसे बड़े बदलाव नाबालिगों, कमजोरों और महिलाओं को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक कानूनों में बदलाव की प्रक्रिया साल 2009 से चल रही थी, इसमें चर्च के कैनन कानून के सभी 6 खंडों के साथ 7 किताबों के 1750 आर्टिकल भी शामिल है। चर्च के कानूनों में इतना बड़ा बदलाव पोप जॉन पॉल ने साल 1983 में किया था। उसके बाद से ये अब तक का सबसे बड़ा संशोधन है।
पोप ने अपने संदेश में पादरियों को याद दिलाया की कानूनों का पालन करना पादरियों की जिम्मेदारी है और ये जो नए बदलाव किए गए हैं, इनका उद्देश्य सिर्फ इतना है की उन मामलों में कमी आए, जिनमें सजा का प्रावधान सिर्फ सारकारी संस्थाओं के पास है। चर्च के नए कानूनों में जुर्म और सजा से जुड़े लगभग 80 आर्टिकल शामिल हैं, साथ ही 1983 में हुए चर्च कानून के बदलावों को भी शामिल किया गया है और कुछ नई नियमों का भी उल्लेख किया है। कानूनों के संशोधन से जुड़ी प्रक्रिया की देखरेख करने वाले वेटिकन के प्रमुख मोनसिग्नोर फिलिपो इन्नोन ने बताय कि, “सजा के कानूनों में बदलाव बहुत जरूरी था, क्योंकि कई बार देखा गया है की फैसला सुनाते वक्त सजा के आगे दया को रखा जाता रहा है”। उन्होंने बताया कि नाबालिगों के यौन शोषण के मामलों को अब “मानव जीवन, गरिमा और स्वतंत्रता के खिलाफ अपराध” की श्रेणी में आएंगे, जबकि पहले ये सिर्फ “जिम्मेदारियों के खिलाफ” कानून के तहत था।