भोपाल। प्रदेश में बालाघाट और मंडला में घटिया चावल वितरण की जांच कर रही एजेंसी ईओडब्ल्यू यदि निष्पक्ष काम जांच करती है तो बड़ा घोटाला सामने आ चुका है। अभी तक की जांच में मिलर, भंडार गृह और नागरिक आपूर्ति निगम की मिली भगत सामने आई है। गोदामों में घटिया चावल जमा होता रहा और अधिकारी आंखें बंद करे रहे। जिन्हें चावल की गुणवत्ता की जांचने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने कभी भी जांच नहीं की। यही वजह है कि प्रदेश में गरीबों को राशन दुकानों से घटिया चावल का वितरण होता गया।
बालाघाट, मंडला और जबलपुर में 30 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत का 10 हजार टन खराब चावल जमा होता रहा, लेकिन खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम और भंडार गृह निगम के अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की। गोदामों में यह चावल अप्रैल से जुलाई के बीच पहुंचा। समय रहते भंडार गृह निगम के अफसर इस पर ध्यान देते तो मिलर्स और कार्पोरेशन के बीच तय शर्तों के हिसाब से काम होता। बालाघाट कलेक्टर दीपक आर्य का कहना है कि जिन गोदामों में पोल्ट्री ग्रेड का चावल मिला है, उन्हें सील कर दिया है। सभी दस्तावेज भी ईओडब्ल्यू को सौंप दिए हैं। वहीं, जिले के राइस मिलर्स कथित एकतरफा कार्रवाई के विरोध में रविवार को हड़ताल पर रहे।
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