नई दिल्ली। राजधानी में प्रदूषण की समस्या(pollution problem) गंभीर होती जा रही है। पर्यावरणविदों (environmentalists) और बड़ों के साथ अब यह बात बच्चों को भी समझ आने लगी है। यही वजह है कि एक 12 वर्षीय बच्चे (12 year old kids) ने प्रदूषण से जूझती अपनी मां (Mother) को स्वच्छ हवा का तोहफा (the gift of clean air) दिया है। महिला के इस जिगर के टुकड़े ने एक ऐसा पोर्टेबल एयर प्योरीफायर तैयार (Portable Air Purifier Ready) किया है, जिसे सफर के दौरान भी साथ रखा जा सकता है।
ग्रेटर कैलाश निवासी शुभ्रा मोहंका (Shubhra Mohanka, a resident of Greater Kailash) ने बताया कि दिल्ली में प्रदूषण (pollution in delhi) की वजह से उन्होंने घर में एयर प्यूरीफायर रखा हुआ है। हालांकि, काम के सिलसिले में ओखला औद्योगिक क्षेत्र में आना-जाना होता रहता है। कई बार प्रदूषण की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता था। जब इस समस्या को निजी स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले उनके बेटे नील मोहंका ने देखा तो समाधान निकालने पर विचार किया। नील ने सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल कर उसमें दो छोटी बैटरी लगाईं, जिन्हें एक 12 वोल्ट के पंखे से जोड़ दिया। यह बैटरी दोबारा चार्ज हो सकती हैं। इसमें चारकोल समेत अन्य तरह के फिल्टर का भी इस्तेमाल किया गया है। इस प्योरीफायर को बनाने में करीब 1500 रुपये खर्च हुए हैं, जबकि घरों में इस्तेमाल होने वाला प्यूरीफायर लगभग 10 हजार रुपये का आता है।
इस तरह करता है काम
पोर्टेबल प्योरीफायर से जुड़ा पंखा बाहर से प्रदूषित हवा खींचता है, जिसके बाद खराब हवा विभिन्न तरह के फिल्टर से गुजरती है। इस दौरान प्रदूषित कण फिल्टर में रह जाते हैं और साफ हवा सांस लेने के लिए बचती है। इसे एक बार चार्ज करने पर 10 घंटे तक इस्तेमाल किया जा सकता है। नील का कहना है कि इस प्योरीफायर को सफर करते समय यदि अपनी साथ सीट पर रख दें तो काफी हद तक हवा साफ कर देता है।
हाइड्रोलिक लिफ्ट पर भी अध्ययन
प्योरीफायर बनाने के बाद नील अब वह हाइड्रोलिक लिफ्ट पर काम कर रहे हैं। इसके माध्यम से ऊंचाई से लिफ्ट के जरिए हल्के सामान को चढ़ाना और उतारना आसान हो सकेगा। इसके लिए नील अध्ययन करने के साथ सामान को एकत्र कर रहे हैं। नील की मां कहती हैं कि उसका झुकाव विज्ञान की ओर है। उम्मीद है कि भविष्य में वह और भी बड़े काम करेगा।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन करने की आवश्यकता
पोर्टेबल एयर प्योरीफायर पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पूर्व अतिरिक्त निदेशक व पर्यावरणविद डॉ. दीपांकर शाहा कहते हैं कि दिल्ली में बढ़ती प्रदूषण की समस्या गंभीर है। यह अच्छी बात है कि बच्चे भी इस समस्या को समझ रहे हैं और समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, बच्चे द्वारा बनाए गए मॉडल की वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन करने की आवश्यकता है। इसके आधार पर ही पता चल सकेगा कि प्योरीफायर कितने क्षेत्रफल में हवा को शुद्ध कर रहा है। शाहा कहते हैं कि आमतौर पर एयर प्योरीफायर पंखों के माध्यम से प्रदूषित हवा को खींचता है, जिसके बाद हवा विभिन्न तरह के फिल्टर होकर गुजरती है। फिल्टर में पीएम कण जम जाते हैं और शुद्ध हवा मिलती है।
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