नई दिल्ली: भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने असम में आरोप लगाया है कि उन्हें भगवान शंकर देव के मंदिर में जाने से रोक दिया गया था. इसके बाद उन्होंने मंदिर के बाहर से ही भगवान को प्रणाम कर आशीर्वाद लिया. दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मंदिर प्रशासन से काफी देर की बातचीत के बाद केवल स्थानीय सांसद और स्थानीय विधायक को बरदोवा थाने जाने की इजाजत दी गई.
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, भारत की सांस्कृतिक विविधता को शंकर देव जी ने भक्ति के माध्यम से एकता के सूत्र में पिरोया, लेकिन आज मुझे उन्हीं के स्थान पर माथा टेकने से रोका गया. मैंने मंदिर के बाहर से ही भगवान को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लिया. अमर्यादित सत्ता के विरुद्ध मर्यादा का यह संघर्ष हम आगे बढ़ाएंगे.
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पोस्ट करते हुए राहुल गांधी को मंदिर नहीं जाने के पीछे की क्रोनोलॉजी को समझाया है. उन्होंने कहा कि 11 जनवरी को स्थानीय कांग्रेस विधायक शिबोमणि बरुआ और एक अन्य विधायक राणा गोस्वामी ने बरदोवा थाना सत्राधिकार से मुलाकात की थी और उन्हें बताया था कि 22 जनवरी को राहुल गांधी श्री श्री शंकरदेव की पवित्र जन्मस्थली में कुछ मिनट बिताना चाहते हैं. उस समय मंदिर प्रबंधन ने राहुल की इच्छा का स्वागत और समर्थन किया था.
उन्होंने कहा कि इसके कुछ दिनों बाद स्थानीय सांसद गौरव गोगोई ने मंदिर प्रबंधन से मुलाकात कर राहुल गांधी की इच्छा को दोहराया था. तब भी प्रबंधन ने राहुल गांधी की इच्छा का समर्थन और स्वागत किया था. इसके बाद 20 जनवरी की शाम असम के मुख्यमंत्री का बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि राहुल 22 जनवरी की सुबह बरदोवा थान नहीं जा सकते. अगर उनको जाना है तो वो दोपहर 3 बजे के बाद जा सकते हैं.
जयराम रमेश ने कहा है कि सीएम के बयान के बाद मंदिर प्रबंधन का बयान सामने आया. प्रबंधन की ओर से कहा गया कि 22 जनवरी की सुबह थान में भारी भीड़ होने की उम्मीद है. इसलिए राहुल गांधी को दोपहर 3 बजे के बाद इस यहां आना चाहिए. कांग्रेस महासचिव ने कहा है कि मंदिर प्रबंधन का यह बयान दर्शाता है कि उन पर मुख्यमंत्री की ओर से दबाव डाला गया और उन्हें ऐसा करने के लिए दिल्ली से निर्देश मिला.
कांग्रेस नेता ने कहा कि आज यानी सोमवार सुबह काफी देर की बातचीत के बाद सिर्फ स्थानी सांसद और स्थानीय विधायक को ही बरदोवा थान जाने की इजाजत दी गई. यह हैरान करने वाला है कि स्थानीय सांसद और स्थानीय विधायक को अपने ही क्षेत्र में जाने के लिए इतनी देर तक बातचीत करनी पड़ी है.
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