जबलपुर: राजनीति में अक्सर नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं. महाकौशल की राजनीति में इन दिनों व्यक्तिगत आरोपों का दौर चल रहा है. बीजेपी और कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर सीधे तौर पर आरोप लगा रहे हैं. चाहे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा हों या कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह सभी ने एक दूसरे पर व्यक्तिगत आरोप लगाए हैं.
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले आरोप-प्रत्यारोप तेज हो रहे हैं. बात अब व्यक्तिगत हमलों तक जा पहुंची है. इसकी शुरुआत तब हुई, जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पीसीसी चीफ कमलनाथ को सीधे तौर पर 1984 दंगे का दोषी बताते हुए जेल जाने की बात कही थी. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी बीजेपी विधायक इंदू तिवारी पर एफसीआई का गरीबों को बांटने वाला अनाज बाजार में बेचने का आरोप लगाया था.
फिर नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर ग्वालियर नगर निगम को लेकर आरोप लगाए थे. उसके बाद बीजेपी युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे ने पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट पर जमीन घोटाले के आरोप लगाए थे.
राजनीतिक विश्लेषक और बीजेपी नेता का व्यक्तिगत आरोपों पर तर्क
कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने वीडी शर्मा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ससुर को सीधे कुलपति बनवा दिया था. राजनीतिक विश्लेषक चैतन्य भट्ट कहते हैं इस तरह के सीनियर नेताओं को व्यक्तिगत आरोप लगाने से बचना चाहिए. इस मामले को लेकर राजनीतिक दलों के अलग-अलग तर्क हैं. बीजेपी सांसद राकेश सिंह का कहना है व्यक्तिगत आरोप चिंता की बात है. पर यह बात सभी के लिए जरूरी है कि आरोप कितना व्यक्तिगत है. यदि आरोप जनता से जुड़े किसी मुद्दे का है तो उसका उजागर होना जरूरी है.
कांग्रेस विधायक तरुण भनोट बोले आरोपों में प्रमाणिकता जरूरी
व्यक्तिगत आरोपों पर कांग्रेस विधायक तरुण भनोट ने कहा आरोप व्यक्तिगत हों या राजनीतिक दोनों ही आरोपों में प्रामाणिकता और कागजात होना जरूरी है. यदि कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने किसी पर सीधा व्यक्तिगत आरोप लगाया है, तो उनके पास प्रमाण भी जरूर होगा. जो नेता बिना सबूत और कागजात के व्यक्तिगत आरोप लगाते हैं तो उनको कोर्ट के फैसले के लिए भी तैयार रहना चाहिए.
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