वाशिंगटन। दुनिया में नेताओं की सिर्फ कमाई ही आम आदमी से ज्यादा नहीं होती बल्कि अब तो उनका जीवन भी जनता से लंबा होता है। यह दावा कुछ विशेषज्ञों ने जीवन प्रत्याशा को लेकर हुए एक ताजा शोध के आधार पर किया है।
दुनिया में शीर्ष एक फीसदी आय वालों की जीवन प्रत्याशा जनता से 15 साल अधिक आंकी गई है। इस वर्ग में ऐसे अमीर और राजनेता शामिल हैं, जो शेष समाज के मुकाबले शिक्षा-स्वास्थ्य का ज्यादा लाभ लेते हैं। यह शोध इसलिए खास है क्योंकि दुनिया भर में नेताओं पर यह आरोप लगता है कि वे उन लोगों जैसे नहीं होते, जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं।
ब्रिटेन, अमेरिका समेत 11 उच्च आय वाले देशों पर शोध
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता फिलिप क्लार्क, लॉरेंस रोप और मेलबर्न यूनिवर्सिटी के लॉरेंस रूपऐन ट्रान-डुई द्वारा हाल में किए गए अध्ययन में नेताओं और आम जनता के बीच मृत्यु दर में अंतर का आकलन किया गया था। इसके लिए उच्च आय वाले 11 देशों- ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया गया।
57 हजार नेताओं की आम जनता से तुलना
57 हजार नेताओं को शामिल कर शोध में पाया गया कि नेताओं की जीवन प्रत्याशा उस आबादी से अधिक है, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं।
20वीं सदी में तेजी से बढ़ी जीवन प्रत्याशा
शोधकर्ताओं का कहना है, असमानताओं को मापने के लिए हमने हर राजनेता का उसके देश, आयु और लिंग के अनुसार आम जनता की मृत्यु दर के साथ मिलान किया। इसके बाद हर साल मरने वाले नेताओं की संख्या की तुलना जनसंख्या के आधार पर मृत्यु दर से की गई।
14.6 साल बढ़ी नेता की उम्र, जनता की सिर्फ 10 साल
20वीं सदी में एक 45 वर्षीय नेता का शेष जीवन औसतन 14.6 साल बढ़ा जबकि आम जनता में यह औसत 10.2 साल ही था।
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