मुंबई। दुनियाभर में कोविड-19 (Coronavirus) के खिलाफ तीसरे डोज (Vaccine Third Dose) को लेकर बहस जारी है. इसी बीच खबर है कि मुंबई में कुछ स्वास्थ्यकर्मियों, नेताओं और उनके स्टाफ ने तीसरा डोज हासिल कर लिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तीसरे डोज को लेकर पहले ही कई देशों पर सवाल उठा चुका है. जानकारों ने संभावना जताई थी कि वैक्सीन लेने के कुछ महीनों बाद शरीर में एंटीबॉडी का स्तर कम होने लगता है. अमेरिका में शीर्ष स्वास्थ्य सलाहकार डॉक्टर एंथनी फाउची भी तीसरे डोज का समर्थन कर चुके हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ राजनेताओं, स्वास्थ्यकर्मियों और उनके स्टाफ ने कोविड-19 वैक्सीन का तीसरा डोज हासिल कर लिया है. रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्यकर्मियों ने शहर के अलग-अलग अस्पतालों में Co-win पर रजिस्ट्रेशन या अलग नंबर का इस्तेमाल कर तीसरा डोज हासिल कर लिया है. माना जा रहा है कि डोज हासिल करने से पहले कई लोगों ने एंटीबॉडीज के स्तर की जांच कराई थी।
रिपोर्ट में एक सीनियर फिजिशियन के हवाले से बताया गया है, ‘इस सूची में डॉक्टर्स का नाम शामिल है, जिन्होंने मुख्य रूप से फरवरी तक दोनों डोज हासिल कर लिए थे और जांच में एंटीबॉडीज के स्तर में कमी मिली.’ खबर के अनुसार, एक युवा राजनेता, उनकी पत्नी और स्टाफ के सदस्यों ने बूस्टर डोज ले लिया है. अस्पताल के एक सूत्र के मुताबिक, बूस्टर डोज के लिए कोविशील्ड पसंद बनी हुई है।
उन्होंने बताया कि इस काम के लिए कुछ मामलों में वैक्सीन वायल से 11वां डोज निकाला गया है. एक अन्य अस्पताल ने बताया कि कुछ अन्य मामलों में तीसरा डोज उन वायल से हासिल किया गया है, जिसमें कुछ ही खुराकें बची हुई थीं और उन्हें हासिल करने वाला कोई नहीं था. उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्यकर्मियों ने अपने साथियों के बीच ब्रेकथ्रू इंफेक्शन के मामले देखे हैं और वे नए वेरिएंट्स को लेकर चिंतित हैं।’
इधर, अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) डॉक्टर प्रदीप व्यास ने इसे गुमराह करने वाला उत्साह बताया है और कहा है कि तीसरे डोज से गंभीर परेशानियां हो सकती है. एडिशनल म्युनिसिपल कमिश्नर सुरेश ककानी ने कहा, ‘साइंटिफिक रहें और भावनाओं में न बहें. संभावना है कि इस काम के लिए वायल में शामिल अतिरिक्त खुराक का इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर कोई उस एक्सट्रा डोज का उपयोग कर रहा है, तो किसी रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है. लेकिन इन्हें हासिल कर रहे उन लोगों से मेरा सवाल है कि उन्हें कैसे पता कि ये उपयोगी है।’
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