विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला 26 नवंबर को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात करेंगे। इस दौरान भारत और नेपाल अपने संबंधों को मजबूत करने का प्रयास करेंगे। इससे जुड़े लोगों ने बताया है कि काठमांडू में राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद विदेश सचिव की नेपाल यात्रा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। एक शीर्ष राजनयिक ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि विदेश सचिव की यात्रा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। शीर्ष राजनयिक काठमांडू में राजनीतिक उथर-पुथल के विदेश सचिव की यात्रा पर उठ रहे सवालों का जवाब दे रहे थे। क्योंकि ऐसी चर्चा थी कि शायद विदेश सचिव की यात्रा में परिवर्तन हो सकता है।
बता दें कि नेपाल की ओर से दावा किए जाने वाले लिपुलेख क्षेत्र में 80 किमी की सीमा सड़क का विरोध करने के बाद दोनों पड़ोसियों के बीच यह पहली औपचारिक राजनयिक मुलाकात होगी। भारत के विरोध के बाद भी नेपाल ने एक नया नक्शा जारी किया था जिसमें उसने भारत द्वारा नियंत्रित कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा बताया था। भारतीय विदेश सचिव की यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों को और भी मजबूत बनाने में मदद मिलेगी और यह दौरा दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा बनाने पर ध्यान केंद्रित रहेगा। पीएम ओली के अलावा, श्रृंगला अपने समकक्ष भरत राज पौड्याल से मिलने वाले हैं, जिन्होंने पिछले महीने विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली और राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी से मुलाकात की थी।
बता दें कि विदेश सचिव की यह यात्रा उस समय हो रही है जब नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (सीपीएन) के भीतर खींचतान जारी है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय सचिवालय की बहुप्रतीक्षित महत्वपूर्ण बैठक बुधवार को हुई, लेकिन गतिरोध दूर नहीं हो सका। पार्टी परामर्श के बगैर सरकार चलाने के पुष्प कमल दहल प्रचंड के आरोपों के जवाब में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अलग राजनीतिक दस्तावेज पेश करने के लिए 10 दिन का समय मांगा है।
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