भोपाल। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) का श्रेय लेने के लिए प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा के बीच श्रेय लेने की होड़ मची हुई है। इसी बीच प्रदेश में आदिवासी वोट बैंक (Tribal Vote Bank) को लेकर भी सियासी दलों के बीच खींचतान शुरू हो गई है। कांग्रेस आदिवासी बाहुल्य बड़वानी जिले में आज आदिवासी अधिकार यात्रा निकालने जा रही है। जबकि भाजपा 18 सितंबर को जबलपुर से बड़ा अभियान शुरू करेगी। इस अभियान की शुरूआत केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह करेंगे।
निर्णायण भूमिका में है आदिवासी वोट
प्र्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। सामान्य वर्ग की 31 सीटों पर भी आदिवासी समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं। 2003 के पहले आदिवासी वोट बैंक परंपरागत रूप से कांग्रेस का माना जाता था। भाजपा ने इसमें सेंध लगा दी। आदिवासी कांग्रेस से छिटक गए। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 47 आदिवासी सीटों में से 30 सीटें मिली थीं, भाजपा को 16 सीटों से संतोष करना पड़ा। मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया आदि जिलों में आदिवासी जनसंख्या अधिक है। मंडला और शहडोल लोकसभा की सीट आदिवासी हैं, तो 15 से अधिक विधानसभा सीटों पर यह वर्ग निर्णायक वोटर है।
कमलनाथ ने बड़वानी क्यों चुना?
बड़वानी, धार, आलीराजपुर (मालवा-निमाड़ क्षेत्र) को जयस (जय युवा आदिवासी संगठन) का गढ़ माना जाता है। बीते कुछ वक्त से कांग्रेस, आदिवासियों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। अगस्त में डेढ़ दिन चले विधानसभा सत्र के दौरान भी देखा गया कि विश्व आदिवासी दिवस के मुद्दे को कांग्रेस ने जमकर उठाया। अब कांग्रेस 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। कांग्रेस 6 सितंबर को बड़वानी में आदिवासी अधिकार यात्रा निकालने जा रही है। आयोजन के बहाने कांग्रेस बड़वानी और उससे लगे आधा दर्जन जिलों को कवर करने की कोशिश में है। बड़वानी के साथ धार, खरगोन, मंदसौर और नीमच जिलों के आदिवासियों को लेकर कांग्रेस बड़ा आयोजन करेगी।
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