चंडीगढ़. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के नतीजे घोषित होने के बाद अब हरियाणा (Haryana) में सियासी (Political) हलचल तेज हो गई है. तीन निर्दलीय विधायकों (MLA) के समर्थन वापस लेने के बाद संख्या बल के आधार पर फिलहाल हरियाणा की भाजपा (BJP) सरकार (Government) अल्पमत (Minority) में है और लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी यहां 2019 के 10 सीटों के मुकाबले 5 ही जीत सकी है.
ये दोनों विधायक दुष्यतं चौटाला की पार्टी जेजेपी के असंतुष्ट गुट विधायक हैं. दरअसल मनोहर लाल खट्टर की सरकार से अलग होने के बाद जेजेपी मुखिया दुष्यंत चौटाला ने दिल्ली में जब अपने 10 विधायकों की बैठक बुलाई तो उसमें 10 में से केवल पांच ही विधायक- नैना चौटाला, दुष्यंत चौटाला, रामकरण काला, अनूप धानक और अमरजीत धांडा पहुंचे थे जबकि अन्य विधायक- राम कुमार गौतम,जोगी राम सिहाग, ईश्वर सिंह, देवेंद्र सिंह बबली और राम निवास सुरजाखेड़ा इस बैठक में नहीं आए. तभी से कहा जा रहा है कि पांचों विधायक सरकार के साथ मिल गए हैं.
तीन निर्दलीय विधायकों ने वापस ले लिया था समर्थन
दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान पूंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान और नीलोखेड़ी से निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदल हरियाणा की बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया था. इस ऐलान के बाद तीनों निर्दलीय विधायक रोहतक पहुंचे थे और पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा से मुलाकात की थी और फिर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया.
हरियाणा की मौजूदा विधानसभा में कुल 88 सदस्य हैं. बहुमत का आंकड़ा 45 है. सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन है. इनमें एक HLP और दो निर्दलीय विधायक शामिल हैं. यानी बीजेपी की सरकार को बहुमत के लिए दो विधायकों की कमी है. हालांकि, बीजेपी का दावा है कि सरकार पर कोई संकट नहीं है.
सरकार पर कोई संकट नहीं है- सीएम
दरअसल, हाल के दिनों में JJP के कुछ विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का संकेत दिया था. हालांकि, JJP ने मार्च में गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. सदन में बीजेपी के 40, कांग्रेस के 30 और जेजेपी के 10 विधायक हैं. सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि सरकार पर कोई संकट नहीं है. वहीं 13 मार्च को ही नायब सिंह सैनी की सरकार ने बहुमत साबित किया है और नियम है कि इसके छह महीने तक कोई विश्वास मत परीक्षण नहीं हो सकता है. यानी 13 सितंबर तक विश्वास मत परीक्षण का प्रस्ताव कोई नहीं ला सकता है.
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