नई दिल्ली (New Dehli)। राजस्थान (Rajasthan)में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की सक्रियता (activism)बढ़ गई है। वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje)शुक्रवार को जयपुर में आरएसएस के कार्यालय (Office)भारती भवन पहुंचीं। वसुंधरा राजे ने संघ पदाधिकारियों संग मंत्रणा की। आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम के साथ मंत्रणा की। आपको बता दें कि गुरुवार को आये एग्जिट पोल्स में अधिकांश सर्वे राजस्थान में भाजपा की सरकार बनती दिख रही है, लेकिन कुछ एग्जिट पोल्स में कांग्रेस भी आगे है। ऐसे में सियासी हलचलें तेज हो गई हैं।
आरएसएस पदाधिकारियों से मुलाकात के बाद वसुंधरा राजे राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने राजभवन भी पहुंचीं। इससे पहले गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात करने पहुंचे थे। अगर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री के नाम पर भाजपा को काफी माथापच्ची करनी होगी, क्योंकि इस बार भाजपा ने बिना किसी मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनाव लड़ा है। ऐसे में CM के पद के लिए कई उम्मीदवार हैं। वसुंधरा राजे के लिए इस बार रास्ता आसान नहीं है। सीएम के प्रबल दावेदारों से कड़ी चुनौती मिल रही है।
समीकरण साधने में जुटीं वसुंधरा राजे
बता दें राजस्थान में अधिकांश एग्जिट पोल बीजेपी को बहुमत मिलने की बात कह रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे भी सीएम बन सकती है। हालांकि, इस बार उनकी राहें आसान नहीं दिखाई दे रही है। प्रबल दावेदारों से कड़ी चुनौती मिल रही है। महंत बालकनाथ रेस में सबसे आगे चल रहे हैं।
सियासी जानकारों का कहना है कि आरएसएस जो चाहेगा वहीं होगा। राजस्थान में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और सांसद दीया कुमारी सीएम फेस की प्रबल दावेदार मानी जाती है। हालांकि, शेखावत खुद को सीएम फेस की रेस में शामिल होने से इंकार करते रहे हैं। लेकिन उनका यह भी कहना है कि पार्टी का निर्णय सर्वोपरि होगा। सियासी जानाकारों का कहना है कि शेखावत की पीएम मोदी और अमित शाह से नजदीकी है। इसका फायदा मिल सकता है।
सीएम पद की दूसरी बड़ी दावेदार जयपुर राजघराने की दीया कुमारी है। दीया कुमारी फिलहाल राजसंमद से सांसद है। पार्टी ने इस बार उन्हें जयपुर की विद्याधर नगर सीट से प्रत्याशी बनाया है। माना यही जा रहा है कि सीएम रेस में होने की वजह से उन्हें विधानसभा का चुनाव लड़ाया जा रहा है। सियासी जानकारों का कहना है कि 3 दिसंबर के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी। फिलहाल अलवर सांसद महंत बालकनाथ सब पर भारी पड़ रहे हैं।
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