इंदौर। पहली बार अचानक इंदौर (Indore) में भाजपा (B J P) के राष्ट्रीय और प्रादेशिक (national and regional)स्तर के नेताओं की बैठक होना कई राजनीतिक अटकलों को जन्म दे रहा है। बैठक का एजेंडा भी भाजपा (B J P) की ओर से सार्वजनिक नहीं किया गया और न ही मीडिया को इसकी जानकारी दी। बैठक इतनी गोपनीय थी कि सांसद, विधायक और मंत्रियों (legislators and ministers) तक को नहीं बुलाया गया था। दिनभर इंदौर से भोपाल के बीच बैठक को लेकर चर्चाएं चलती रहीं, लेकिन बैठक के विषय की जानकारी नहीं लग पाई और रात 12 बजे नेता बैठक कर रवाना भी हो गए।
बैठक की प्रमुख जवाबदारी भाजपा के प्रदेश मंत्री (state Minister) जयदीप पटेल को दी गई थी। हालांकि बैठक में वे भी अपेक्षित नहीं थे। वे ही शाम के पूरी व्यवस्था देख रहे थे। बैठक शुरू होने के पहले प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास (General Secretary Suhas) भगत पहुंचे, उसके बाद नरोत्तम मिश्रा पहुंचे। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) के आने के दो मिनट पहले ही प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी.एल. संतोष, प्रदेश सहसंगठन मंत्री हितानंद के साथ बैठक स्थल पर पहुंचे। थोड़ी ही देर में प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव भी आ गए। उसके बाद मुख्यमंत्री का काफिला आया। बैठक में महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी उपस्थित होना था, लेकिन वे 10 मिनट देरी से पहुंचे। बैठक करीब पौने 9 बजे शुरू हुई और 11 बजे केआसपास समाप्त हो गई। लंबे समय बाद इंदौर में भाजपा के उच्च पदाधिकारियों की बैठक होना और उसमें सीएम का उपस्थित होना कई राजनीतिक अटकलों का जन्म दे गया। बैठक के पहले न तो किसी नेता ने मीडिया से बात की और न ही बाद में। मीडिया भी अपने हिसाब से बैठक के विषय की अटकलें लगाता रहा। हालांकि सूत्रों का कहना है कि जब भी राष्ट्रीय स्तर के नेता आते हैं, वे प्रत्येक संभाग में प्रवास कर बैठक करते है और उसी के अंतर्गत भोपाल, इंदौर और उज्जैन का कार्यक््रम तैयार किया गया था, वहीं सूत्र तो यह भी कह रहे हैं कि इंदौर संभाग में जनजाति वर्ग की सीटें ज्यादा हैं और इस बार पार्टी जनजाति की सभी सीटों पर ध्यान दे रही है जो 2018 में खो दी थी। इसके अलावा आने वाले चुनाव भी बैठक का एक बड़ा मुद्दा हो सकते हैं।
पटेल के बयान पर नरोत्तम का बचाव
बैठक में पहुंचे गृह एवं इंदौर के प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Minister Narottam Mishra) ने कृषि मंत्री कमल पटेल (Agriculture Minister Kamal Patel) के सीएम (cm) को टंट्या मामा बोलने के बयान पर बचाव करते हुए कहा कि आपने शब्दों को गलत समझ लिया। बैठक के बारे में वे बोले कि ये सतत चलने वाली प्रक्रिया है। हालांकि वे ज्यादा नहीं बोले और सीधे बैठक में चले गए। मीडिया ने सीएम से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन वे मुस्कुराते हुए बैठक में चले गए।
एयरपोर्ट से निकल गए मेंदोला
कल एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री की अगवानी विधायक रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़, गोलू शुक्ला, पूर्व पार्षद मनोज मिश्रा ने की। सभी नेता उनकी अगवानी कर एयरपोर्ट से निकल गए। रात में जब वे साढ़े 12 बजे एयरपोर्ट पहुंचे, तब मेंदोला, गोलू और मिश्रा ही वहां नजर आए। पहले गृहमंत्री सुबह जाने वाले थे, लेकिन वे रात को ही मुख्यमंत्री के साथ भोपाल रवाना हो गए।
गौरव-सोनकर कमरे में, मालिनी को लौटाया
बैठक शुरू होते से ही हॉल के आसपास तक जाने की सबको मनाही थी। यहां तक कि नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे और जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर अपने-अपने कमरे में बंद रहे। मालिनी गौड़ सीएम के काफिले के साथ भाजपा कार्यालय पहुंच गई थी, लेकिन उन्हें बैठक में जाने से रोक दिया तो वे वापस चली गईं। प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा और मीडिया प्रभारी देवकीनंदन तिवारी भी पूरे समय बैठक के बाहर ही मौजूद रहे। इस दौरान कई भाजपा नेता भी पहुंचे, लेकिन माहौल देखकर खिसक लिए।
आधे दिन में हुई बैठक की व्यवस्था
सुबह तक इस बैठक की सुगबुगाहट नहीं थी, लेकिन बाद में जब भाजपा कार्यालय से बैठक की व्यवस्था करने के निर्देश दिए तो स्थानीय पदाधिकारी एक्टिव हुए। नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे और उनकी टीम ने आधे दिन में पूरी व्यवस्था की और ऊपर के हॉल में 8 कुर्सियां जमवाई और सभी के भोजन की व्यवस्था की। गौरव अपनी टीम के साथ रात 12 बजे तक कार्यालय में ही डटे रहे, जब तक सभी पदाधिकारी नहीं चले गए।
ढाई घंटे पहले कार्यालय खाली कराया
पुलिस (Police)की सुरक्षा व्यवस्था भी सख्त थी। बैठक यंू तो साढ़े 8 बजे शुरू होना थी, लेकिन कार्यालय के आसपास पुलिस अधिकारियों (police officers) ने शाम 6 बजे से ही कवर कर लिया। दुकानें बंद करवा दी गर्इं और कार्यालय में जाने वाले लोगों से पूछताछ होने लगी। जो अपेक्षित थे और व्यवस्था में लगे थे, उन्हें ही अंदर जाने दिया, बाकी लोगों को बाहर कर दिया। बाकी लोगों को रोकने के लिए जवाहर मंगवानी, मुकेश मंगल और गुलाब ठाकुर को तैनात कर रखा था।
इन बिन्दुओं पर लगाए जा रहे कयास, लेकिन
1. संगठन में कसावट-बैठक भोपाल में कर सकते थे, उसके लिए सीएम और अन्य नेताओं को इंदौर बुलाने की जरूरत नहीं थी।
2. पंचायत और निकाय चुनाव-अभी चुनाव जैसा कुछ है नहीं। स्थानीय निकाय चुनाव थे तो स्थानीय नेताओं को बुलाया जा सकता था।
3. टंट्या मामा से जुड़ा आयोजन-टंट्या मामा के आयोजन की जवाबदारी भी स्थानीय नेताओं को दे रखी है, इसका भी प्रश्न नहीं उठता कि इस पर चर्चा हुई हो।
4. गुटबाजी को लेकर बात-इंदौर में भले ही ऊपरी तौर पर गुटबाजी नहीं दिख रही हो, लेकिन अंदर ही अंदर हैं। अगर इसे खत्म करने को लेकर बात होती तो भी स्थानीय बड़े नेताओं को बुलाया जाता।
5. मंत्रिमंडल विस्तार-मंत्रिमंडल विस्तार तो अभी होना नहीं है। होता तो भी इंदौर आकर मीटिंग करने की जरूरत नहीं पड़ती और उसमें महामंत्रियों का सीधा हस्तक्षेप नहीं होता, क्योंकि यह मुख्यमंत्री का विषय है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved