बीते दिन बीजेपी के सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) पर आरोप लगाते हुए कहा था कि छठ पर्व पर रोक लगा कर आपने हिंदू समाज की भावनाओं को आहत करने का काम किया है. छठ पूजा को लेकर दिल्ली सरकार और भाजपा के बीच मचे राजनीतिक घमासान (political turmoil) के बीच केंद्र ने साफ कर दिया है कि इसके लिए अलग से दिशा निर्देश जारी करने की जरूरत नहीं है.
आज दिल्ली कांग्रेस भी छठ पूजन के सार्वजनिक आयोजन पर पाबंदी के खिलाफ प्रदर्शन करने चंदगीराम अखाड़ा पहुंची जहां से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास तक प्रदर्शनकारियों को जाना था लेकिन पुलिस ने रास्तों पर बैरिकेड लगा कांग्रेस प्रदर्शनकारियों को रोका. कार्यकर्ता बैरिकेड के ऊपर खड़े होकर नारेबाज़ी करते दिखे.
प्रदर्शन दिल्ली सरकार के सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा (Chhath Puja) पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ आयोजित किया गया. जहां गुस्साए कांग्रेस कार्यकर्ता छठ पूजन के लिए जरूरी सामग्री के साथ प्रदर्शन करते दिखे. हांलांकि आज मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल को चिट्ठी लिख छठ पूजा सार्वजनिक रूप से मानने की अनुमति मांगी है.
अनिल चौधरी ने सवाल किया कि क्या अपनी पूजा के लिए डीडीएमए से परमिशन मांगी क्या? कानून कहता है कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत कार्यकर्म आयोजित करवाने हैं. आप कोविड एसओपी के तहत ये पूजा आयोजित करा सकते थे लेकिन नीयत नहीं थी. यमुना किनारे आप व्यवस्था करते तो पूजा का आयोजन किया जा सकता था. लेकिन आप छठ पूजा नहीं आयोजित करना चाहते. ये सरकार गरीब विरोधी, पूर्वांचली विरोधी और दलित विरोधी है. दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए आगे कहा कि आपने स्विमिंग पूल और बाजारों को इजाजत दे दी लेकिन पूजा की इजाजत नहीं दी.
क्या कांग्रेस ने बहती गंगा में हाथ धोने की कोशिश में है, इसके जवाब में अनिल चौधरी कहते हैं कि हम लोग पहले दिन से आवाज उठा रहे हैं, जिस दिन ये आदेश आया था यानि 30 सितंबर से. केजरीवाल सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रही है और चिट्ठी का सिलसिला महज़ गुमराह करने का तरीका है.
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