जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) की राजनीति में रविवार रात को ‘भूचाल’ आ गया। राजस्थान सरकार में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों (leadership change speculation) के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) के समर्थक कांग्रेसी विधायकों (Congress MLAs) ने रविवार रात नाटकीय घटनाक्रम में बगावती तेवर दिखाते हुए सचिन पायलट (Sachin Pilot) की उम्मीदों की ‘उड़ान’ (‘flight’ of hope) टेकऑफ से पहले ही क्रैश कर दी।
गहलोत के वफादार विधायकों ने दी इस्तीफे की चेतावनी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायक अपने इस्तीफे सौंपने के लिए रविवार रात विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी (Assembly Speaker CP Joshi) के निवास पहुंच गए। विधायक दल की बैठक में गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने की संभावनाओं के बीच यह घटनाक्रम हुआ है। बता दें कि राजस्थान की मौजूदा स्थिति से मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष गहराने का संकेत मिल रहा है।
वहीं, कांग्रेस नेता अजय माकन (Ajay Maken) ने बताया कि हम फिलहाल दिल्ली नहीं जा रहे हैं, हमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने राजस्थान कांग्रेस के विधायकों के साथ आमने-सामने बैठकर बातचीत करने का निर्देश दिया है। हम आज रात उनसे मिलेंगे। खड़गे और माकन को एक-एक विधायक से बात करने के निर्देश दिए गए हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन पर्यवेक्षक के तौर पर वहां पहुंचे हैं।
गहलोत के वफादार विधायकों में से एक ने दावा किया कि निर्दलीय सहित 80 से अधिक विधायक बस से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के निवास पहुंच गए हैं और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप देंगे। बता दें कि, 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 108 सदस्य हैं। पार्टी को 13 निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन प्राप्त है।
विधायकों ने मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर की बैठक
इस्तीफे की चेतावनी से पहले, विधायकों के समूह ने मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर एक बैठक की, जिसे सचिन पायलट के अगले मुख्यमंत्री बनने की संभावना को विफल करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
राज्य के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने संवाददाताओं से कहा कि हम बस से विधानसभा अध्यक्ष के निवास जा रहे हैं और (उन्हें) अपना इस्तीफा सौंपेंगे। वहीं, गहलोत के वफादार माने जाने वाले कुछ विधायकों ने परोक्ष रूप से पायलट का हवाला देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का उत्तराधिकारी कोई ऐसा होना चाहिए, जिन्होंने 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, न कि कोई ऐसा जो इसे गिराने के प्रयास में शामिल था।
गौरतलब है कि, दिसंबर 2018 में कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के ठीक बाद मुख्यमंत्री पद के लिए गहलोत और पायलट का टकराव देखने को मिला था। पार्टी आलाकमान ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री चुना, जबकि पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। जुलाई 2020 में पायलट ने 18 पार्टी विधायकों के साथ गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी।
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