इंदौर। जातिवाद (Casteism) की बेडिय़ों (fetters) में बंधे एक गांव (villages) के लोगों ने दलित समाज (dalit society) के पुलिसकर्मी (policemen) दूल्हे (grooms) को मंदिर (temples) में घुसने नहीं दिया। इसके बाद दूल्हे के परिजन ने जमकर बवाल किया। मौके पर भारी पुलिस बल लगाना पड़ा।
बराडिय़ा गांव (Baradia village) में आरक्षक मेहरबान परमार की बरात ( procession) निकली और मंदिर (temples) में दर्शन के लिए जाने लगे तो कुछ लोगों ने आपत्ति ली और उन्हें मंदिर में घुसने नहीं दिया। इसकी जानकारी लगते ही दलित समाज के नेता मनोज परमार (Manoj Parmar) ने प्रशासन को अवगत कराया। इसके बाद इसी गांव में मेहरबान के रिश्तेदार कैलाश की बरात निकली तो वहां प्रशासन की टीम लगी। एसपी और एडीएम भी मौक पर थे। कैलाश की बरात को मंदिर में दर्शन के लिए ले जाते समय भी कुछ लोगों ने विरोध किया और उसे भी मंदिर में नहीं जाने दिया। प्रशासन की मौजूदगी में जातिवाद की यह घटना शर्मसार करने वाली थी।
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