भोपाल। प्रदेश की धरती से कुख्यात डकैत गिराहों का सफाया हो गया है, लेकिन डकैतों से जुड़ी कहानियां और उनसे मुठभेड़ करने वाले पुलिस अफसरों के साहस के किस्से अब भी चंबल में खूब सुनाए जाते हैं। अब मप्र पुलिस डकैत डकैतों के किस्से सुनाएगी। इसके लिए चंबल के भिंड जिले की पुलिस लाइन में 30 लाख की लागत से डाकू म्यूजियम बनाया जा रहा है। जिसमें लोग डकैतों की बंदूक, उनके सामान देख पाएंगे। डाकू म्यूजियम में दशकों तक बीहड़ में दहशत फैलाते रहे डाकुओं के हथियार उठाने से लेकर मुठभेड़ में ढेर होने तक की दास्तान सुनाई जाएगी। इसके अलावा उनके आतंक को खत्म करने वाले जांबाज अफसरों-जवानों की कहानी भी आप जान सकेंगे। म्यूजियम में बैंडिट क्वीन (फूलन देवी) की वह बंदूक भी देख पाएंगे, जिसके साथ उन्होंने सरेंडर किया था। दद्दा नाम से जाने गए मोहर सिंह की माउजर, राइफल, कारतूस और फौज की वर्दी में दिखने वाले अरविंद सिंह की एसएलआर भी यहां देखने को मिलेगी। म्यूजियम में डकैतों की हिस्ट्रीशीट, उनके फोटो, गिरोह के बड़ी वारदात के किस्से, वारदात के बाद वहां के हालात की कहानी, डाकू गिरोहों के सदस्यों की जानकारी स्क्रीन पर दिखाई जाएगी, ताकि इससे लोगों से इन्हें समझ पाएं। पिछले 30 साल में शहीद हुए पुलिस के 40 जवानों और अफसरों की बहादुरी के किस्से भी यहां होंगे।
डकैतों का 50 साल का रहेगा इतिहास
डाकू म्यूजियम में डाकुओं और पुलिस की बड़ी मुठभेड़ों को फिल्म की तरह दिखाया जाएगा। यहां एथलीट से डाकू बने पान सिंह तोमर और चंबल को कपां देने वाले मलखान सिंह समेत 80 डाकुओं के अनसुने राज सामने आएंगे। एग्जीबिशन के जरिए बताया जाएगा कि कैसे एक आम आदमी बागी हुआ और कुख्यात बन गया। इसमें 1960 से लेकर 2011 तक के डकैतों को शामिल किया जाएगा। म्यूजियम में हर दशक की एक गैलरी बनाई जाएगी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved