इंदौर। शहर में समय में पीएफआई और बांग्लादेशी लोगों का कुछ घटनाओं में नाम सामने आने के बाद इंदौर पुलिस अब शहर में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की तलाश कर रही है। इसके लिए सर्वे करवाया जा रहा है। बताते हैं कि 100 लोगों की टीम इस पर काम कर रही है।
कुछ माह पहले बाणगंगा क्षेत्र में चूड़ीवाला कांड और कोतवाली क्षेत्र में इसका विरोध करने पहुंचे लोगों के पीछे पीएफआई संगठन की भूमिका सामने आने के बाद इंदौर पुलिस शहर में अब रोहिंग्या और बांग्लादेेशियों का सर्वे करवा रही है, क्योंकि इस संगठन के पीछे रोहिंग्या और बांग्लादेशी होने का शक है। पुलिस के पास पाकिस्तानियों की तरह इनका कोई रिकार्ड नहीं है। इसके चलते यह कवायद शुरू की गई है। इसके अलावा कुछ दिन पहले सेक्स रैकेट में पकड़े गए मामून ने कबूल किया था कि वह बांग्लादेश से पांच हजार लड़कियों को खरीदकर लाया था और देश में बेचा।
इनमें से 9 लड़कियां इंदौर में पकड़ाई थीं। हालांकि उनमें से कुछ शेल्टर होम से भाग चुकी हैं, जिनका आज तक पता नहीं चला। पुलिस ने इंदौर और आसपास से रैकेट में फंसी दो दर्जन से अधिक लड़कियों को छुड़वाने का दावा किया था। डीसीपी इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी रजत सकलेचा ने बताया कि इनका सर्वे करवाया जा रहा है। इसके लिए हर थाने से एक एसआई और दो जवानों को लगाया गया है। इंदौर पुलिस कमिश्नरी में 32 थाने हैं। इस हिसाब से 100 से अधिक लोग इस काम में लगे हैं। यदि कोई अवैध रूप से रहता पाया गया तो उसे पुलिस डिकोड करवाएगी।
एक दर्जन डकैतियों के बाद 2014 में पुलिस ने करवाया था सर्वे
शहर में 2014 में बाहरी कॉलोनियों में एक दर्जन डकैतियां हुई थीं। इस मामले में बांग्लादेशी डकैत पकड़े गए थे और पुलिस ने सभी डकैतियों का खुलासा किया था। ये लोग ग्रिल काटकर घर में घुसते थे और फिर परिवार को बंधक बनाकर डकैती डालते थे। एक स्थान पर इस गिरोह ने महिला से रेप तक किया था। इसके बाद इंदौर पुलिस ने सर्वे करवाया था।
सराफा में नौ हजार कारीगर बंगाली बोलने वाले
पुलिस सूत्रों के अनुसार अभी तक की जांच में पता चला है कि सराफा में नौ हजार बंगाली कारीगर काम करते हैं। पुलिस ने उनकी सूची बना ली है। अब पता लगाया जा रहा है कि वे बांग्लादेेशी हैं या बंगाल से आए हैं। इसके अलावा पुलिस की टीम शहर में चल रहे कंस्ट्रक्शन के बड़े प्रोजेक्ट में जाकर भी मजदूरों की जानकारी जुटा रही है। पुलिस को पता चला है कि यहां भी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मजदूर काम कर रहे हैं। इन लोगों के कुछ बस्तियों में रहने की बात सामने आई है। इसके चलते थाना स्तर पर बस्तियों में जानकारी निकाली जा रही है। हर किराएदार का पता लगाया जा रहा है, जो बाहर से आकर यहां रह रहा है।
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