उज्जैन। शहर में बीते 80 दिनों में घरेलू हिंसा और मनमुटाव के लगभग 180 मामले सामने आए हैं। इसमें से 95 फीसदी मामलों को पुलिस ने काउंसलिंग के जरिए समझौता कराकर निपटा दिया है। इन विवादों का मूल कारण सोशल मीडिया और मोबाईल पर आने वाले मिस्ड काल हैं।
दरअसल महिला थाने में सबसे अधिक मामले घरेलू हिंसा, पति-पत्नी के बीच विवाद संबंधित आ रहे हैं, वहीं छेड़छाड़, मारपीट और गुमशुदगी के मामले भी पहुँच रहे हैं। आकड़ों पर गौर किया जाए तो बीते ढ़ाई महीने में करीब 170 से 180 मामले आए हैं। औसतन रोजाना दो से तीन शिकायतें होती हैं। हालांकि, पुलिस परामर्श केंद्र पर ही महिला हिंसा के आधे से ज्यादा मामलों में काउंसिलिंग के जरिए समझौता करा दिया जाता है लेकिन कई मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें केस दर्ज कराना पड़ता है। महिला थाने में आने वाले ज्यादातर मामलों में मोबाइल चलाने और किसी और से बात करने की शंका पर पति के पिटाई करने की शिकायतें हुई हैं। इसमें पांच फीसदी से ज्यादा मामलों में शादी को 5 साल से ज्यादा हो चुके हैं। कुछ मामले हाईप्रोफाइल माने जाने वाले परिवारों से भी आ रहे हैं। महिला थाने की एसआई अनिता ने बताया कि पति-पत्नी के विवाद में आपसी समन्वय बनाना जरूरी होता है। छोटी-छोटी बातों में परिवार के टूटने की संभावनाएँ ज्यादा होती हैं, जिसके कारण बातें बहुत आगे तक बढ़ जाती हैं। पति-पत्नी तलाक तक पहुँच जाते हैं। ऐसे में बच्चों के भविष्य पर भी बुरा असर पड़ता है।
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