इस्लामाबाद। पाकिस्तान की संसद (parliament of pakistan) में तब हंगामा मच गया, जब इस्लामाबाद पुलिस(Islamabad Police) ने पार्लियामेंट लॉज(parliament lodge) के अंदर एक ऑपरेशन के तहत, जेयूआई-एफ एमएनए सलाहुद्दीन अयूबी (JUI-F MNA Salahuddin Ayubi) और मौलाना जमाल-उद-दीन (Maulana Jamal-ud-din) सहित 19 लोगों को गिरफ्तार(19 people arrested) किया। पुलिस ने दावा किया कि उन्होंने पार्लियामेंट लॉज में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के वर्दीधारी स्वयंसेवी बल अंसारुल इस्लाम के सदस्यों की घुसपैठ के बाद यह कार्रवाई की।
इस्लामाबाद के पुलिस महानिरीक्षक मुहम्मद अहसान यूनुस ने लॉज के अंदर कार्रवाई का बचाव किया है। इस ऑपरेशन का नेतृत्व खुद इस्लामाबाद के पुलिस महानिरीक्षक ने किया।
बताते चलें कि पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद से राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं। गुरुवार को मौलाना फजल-उर-रहमान की पार्टी के एक सांसद की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष ने सरकार के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है।
वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गृह मंत्री शेख राशिद ने आरोप लगाया कि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम ने जान बूझकर पार्लियामेंट लॉज में अंसारुल इस्लाम के सदस्यों की घुसपैठ करवाई थी। उन्होंने कहा कि ये लोग लॉज के अंदर छिपे हुए थे। हम चाहते थे कि मामले को शांति से सुलझाया जाए, लेकिन उन्होंने पुलिस अधिकारियों को पीटा और बंद कर दिया। उन्होंने अंसारुल इस्लाम के सदस्यों को हमें नहीं सौंपा। शेख रशीद ने कहा कि हम इन जैसे दूसरों को संसद में प्रवेश करने से रोकने की भी कोशिश कर रहे हैं। वहीं, पाकिस्तान में बढ़ते राजनीतिक संकट के बीच सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बृहस्पतिवार को इस विचार को खारिज किया कि देश की सेना विपक्ष का समर्थन कर रही है। चौधरी ने दावा किया कि सशस्त्र बल पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के साथ खड़े हैं। चौधरी ने मीडिया से यह बात कही। उनका यह बयान खान को पद से हटाने के लिए नेशनल असेंबली में विपक्षी दलों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के कुछ दिन बाद आया है। चौधरी से पूछा गया था कि क्या खान को हटाने का दबाव बना रहे विपक्षी दलों को सेना का समर्थन हासिल है। उन्होंने इस पर कहा, “हमारी संवैधानिक व्यवस्था में, सेना सरकार के साथ खड़ी रहती है…सेना को संविधान का पालन करना होता है, और यह संविधान का पालन करती रहेगी।” पाकिस्तान के 73 साल के इतिहास में आधे से ज्यादा समय तक देश पर शासन करने वाली सेना सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में काफी हावी रही है। खान गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और यदि गठबंधन में शामिल कुछ दल उन्हें हटाने का फैसले करते हैं तो उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। पाकिस्तान के संसदीय लोकतंत्र में यह असामान्य बात नहीं है।