भोपाल। राजधानी के पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर ने न्यायिक कार्य का विभाजन कर दिया है। शहर में फि लहाल इसके लिए दो एसीपी रहेंगे। एसीपी (ज्युडिशियल) यानी सीएसपी रैंक के अफ सर। दोनों एसीपी की कोर्ट पुलिस मुख्यालय के सामने एसएएफ मुख्यालय में बनाई जा रही है। फि लहाल, दो ही कोर्ट से शुरुआत करने का निर्णय लिया गया है। इसके बाद धीरे-धीरे कोर्ट की संख्या बढ़ाई जाएगी। आदेश के अनुसार डीसीपी-1 ( मतलब, एसपी) और डीसीपी-2 के क्षेत्र में आने वाले सभी थानों के आईपीसी की धारा 107, 116 सीआरपीसी के प्रकरणों की सुनवाई एसीपी (न्यायिक कार्य-1) करेंगे।
ऐसे ही डीसीपी-3 और डीसीपी-4 के क्षेत्र में आने वाले सभी थानों के दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107, 116 सीआरपीसी के प्रकरणों की सुनवाई एसीपी (न्यायिक कार्य-2) करेंगे। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 108 से 110 के जोन-1 के प्रकरणों की सुनवाई एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर (मतलब, एएसपी) जोन-2 करेंगे। ऐसे ही जोन-2 के प्रकरणों को एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर जोन-3 करेंगे। जोन-3 के प्रकरणों को एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर जोन-4 और जोन-4 के प्रकरणों को एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर जोन-1 सुनेंगे। भोपाल में मजिस्ट्रियल अधिकारों का विभाजन दिल्ली की तर्ज पर किया गया है। वहां भी किसी एक जोन के अधिकारी को दूसरे जोन के प्रकरणों की सुनवाई करने के अधिकार दिए गए हैं। मकसद है कि संबंधित फ रियादी को न्याय मिल सके। इधर, नए कंट्रोल रूम में स्थित साइबर क्राइम का दफ्तर पुराने डीआईजी आफि स में शिफ्ट कर दिया गया।
किस जोन में कितने थाने
इन धाराओं की सुनवाई
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