सालों से आईएएस और आईपीएस लॉबी के बीच चलता रहा घमासान, न्यायिक शक्तियां अभी नहीं मिलेगी, कानून व्यवस्था पर ही रहेगा जोर
इंदौर।
बीते कई वर्षों से पुलिस कमिश्नरी (Police Commissionerate) का हल्ला मचता रहा है, मगर सशक्त आईएएस लॉबी (IAS Lobby) ने घोषणा के बावजूद इसे लागू नहीं होने दिया। मगर अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के खौफ के चलते पुलिस कमिश्नरी जल्द और हर हाल में इंदौर-भोपाल (Indore-Bhopal) में लागू हो जाएगी, जिसकी प्रक्रिया कल मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ ही शुरू हो गई है। दरअसल, श्री मोदी ने अभी उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) में अच्छी कानून व्यवस्था बताई और पुलिस कमिश्नर प्रणाली की सराहना की, जिसके चलते ताबड़तोड़ मुख्यमंत्री ने कल ही घोषणा भी कर दी। अब कैबिनेट निर्णय के बाद अध्यादेश के जरिए इसे लागू किया जा सकेगा। हालांकि मुख्यमंत्री ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को फिलहाल बेहतर बताया। लिहाजा अब आईएएस अधिकारी सवाल उठा रहे हैं कि जब कानून व्यवस्था बेहतर है तो फिर अभी एकाएक कमिश्नरी लागू करने की घोषणा करने की आवश्यकता क्यों पड़ गई..? वहीं कुछ अन्य जानकार सिस्टम में चैक एंड बैलेंस के लिए वर्तमान प्रणाली ज्यादा कारगर है। बहरहाल, न्यायिक अधिकार तो कमिश्नरी में नहीं मिलेंगे, लेकिन जिलाबदर, रासुका से लेकर धारा 151, 107, धारा 144 सहित अन्य अधिकार अवश्य प्रशासन से पुलिस के पास स्थानांतरित हो जाएंगे।
पूर्व में भी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) दो बार पुलिस कमिश्नरी (Police Commissionerate) की घोषणा कर चुके हैं, मगर आईएएस लॉबी के दबाव और अधिकारों को ना छोडऩे के चलते इस पर अमल नहीं हो पाया। मगर अभी उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) चुनाव के मद्देनजर पुलिस सिस्टम की समीक्षा के दौरान प्रधानमंत्री ने कानून व्यवस्था ( Law and Order) के मद्देनजर उत्तरप्रदेश सरकार की प्रशंसा तो की ही, वहीं वहां की पुलिस कमिश्नरी को भी सराहा, क्योंकि मोदी जी की हर घोषणा या बात का तुरंत अक्षरस: पालन प्रदेश के मुख्यमंत्री शुरू कर देते हैं। लिहाजा उन्होंने कल आनन-फानन में पुलिस कमिश्नरी (Police Commissionerate) इंदौर और भोपाल में लागू करने की घोषणा भी कर दी। जबकि अभी पिछले कुछ समय से इसकी कोई चर्चा या मांग भी नहीं थी। हालांकि मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी है और व्यवसायिक राजधानी इंदौर में बढ़ती जनसंख्या, भौगोलिक विस्तार और तकनीकी कारणों से उत्पन्न कानून व्यवस्था संबंधी जरूरतों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। शहरी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, इसलिए समाधान और अपराध नियंत्रण के लिए प्रदेश के दो महानगर इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की जा रही है। हालांकि अधिकार क्या होंगे इसका खुलासा जल्द होगा। मुंबई या दिल्ली की तरह अधिकांश अधिकार तो पुलिस कमिश्नर को फिलहाल नहीं मिलेंगे। वहीं आम्र्स लाइसेंस जैसी व्यवस्था भी प्रशासन के अधीन ही रह सकती है। अलबत्ता रासुका, जिलाबदर, धारा 144 के आदेश से लेकर रैली, धरना-प्रदर्शन, जुलूस या ऐसे अन्य आयोजन की अनुमति सहित अन्य अधिकार पुलिस के पास पहुंच जाएंगे।
शहर की बजाय अब ग्रामीण क्षेत्र के लिए रहेंगे एडीएम
पुलिस कमिश्नरी (Police Commissionerate) में जहां पुलिस अधिकारियों के पदनाम बदल जाएंगे, वहीं चूंकि यह व्यवस्था शहर में रहेगी, ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं। इसलिए प्रशासन में भी एडीएम के पद की महत्ता घट जाएगी और शहर की बजाय ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ही एडीएम रहेंगे। यानी एक तरह से वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) के साथ-साथ एडीएम पवन जैन भी ऐसे आखरी अधिकारी होंगे जिनके पास पूरे जिले के मजिस्ट्रीयल अधिकार रहे, जिसमें से अब आधे से अधिक पुलिस को स्थानांतरित हो जाएंगे। हालांकि पुलिस में एसएसपी और डीआईजी सिस्टम लागू किया गया। अब एडीजी स्तर के अधिकारी की बतौर पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्ति की जाएगी और इनके साथ संयुक्त और उप आयुक्त भी पदस्थ होंगे। देखना यह है कि कब से यह नई व्यवस्था लागू होगी।
अभी कलेक्टर के पास चूंकि सभी
कलेक्टर के पास रहेगा राजस्व व विकास कार्यों का ही जिम्मा
मजिस्ट्रीयल अधिकार (Magisterial Authority) भी हैं, जिसमें से अब कई पुलिस को चले जाएंगे। इससे कलेक्टर के दबदबे में कमी भी आएगी और इंदौर-भोपाल का कलेक्टर बनने की महत्वकांक्षा में भी कमी आएगी। कलेक्टर के पास राजस्व से संबंधित काम तो रहेंगे ही, वहीं शहर विकास से संबंधित योजनाओं में भी अधिक समय दे पाएंगे। अभी प्रशासन का आधा समय कानून व्यवस्था में ही चला जाता है, उससे प्रशासनिक मशीनरी लगभग मुक्त हो जाएगी। बॉण्ड ओवर, जिलाबदर, रासुका से लेकर धारा 144 व अन्य धाराओं में भी अब प्रशासन की बजाय पुलिस को ही आदेश जारी करना पड़ेंगे। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में यह व्यवस्था कलेक्टर के अधीन ही रहेगी। आने वाले दिनों में सिर्फ शहरी क्षेत्र में ही पुलिस कमिश्नरी सिस्टम चलेगा।
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