उज्जैन। चरक अस्पताल के डॉक्टर्स और स्थानीय पुलिस में आपसी तालमेल की कमी हैं। जिस कारण शॉर्ट पीएम रिपोर्ट भी समय पर नहीं मिल पा रही हैं और कई आपराधिक मामले फाइलों में ही उलझ कर पड़े हैं। कुछ मामलों में तो डॉक्टर्स जानबूझकर लेटलतीफी करते हैं, इसका खामियाजा भी पुलिस को ही भुगतना पड़ता है।
उल्लेखनीय हैं कि घटना के बाद चरक अस्पताल से समय पर पीएम रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने से शहर के विभिन्न थानों में 20 से ज्यादा केस लंबित हैं। अग्रिबाण की पड़ताल में सामने आया कि इसके पीछे चरक अस्पताल के डॉक्टर्स ही लेट-लतीफी करते हैं। उनके द्वारा केवल इमरजेंसी केस के ही पीएम रिपोर्ट समय पर बनाकर दी जाती हैं। जबकि अन्य प्रकरण को टालमटोल कर लटका दिए जाते हैं। इसके लिए अलग-अलग क्षेत्र की पुलिस को भी अस्पताल में रिपोर्ट के लिए कई बार आना पड़ता है। पड़ताल में यह बात भी सामने आई कि कुछ मामलों में तो एक-एक माह तक पीएम रिपोर्ट पेंडिंग रखी जाती है। जबकि शार्ट पीएम तुरंत देने और पीएम रिपोर्ट को 7 दिन में बनाकर देने का प्रावधान है। इसके बजाय जिम्मेदार रिपोर्ट को ही लटकाए रखते हैं। इधर केस न्यायालय में जाने के बाद पुलिस पर रिपोर्ट पेश करने का दबाव बढ़ जाता है। अस्पताल के जिम्मेदार भी कोर्ट की फटकार से बचने अपराधिक प्रकरण को प्राथमिकता से पूरी करने के चक्कर में दूसरे प्रकरण को लटकाकर रखती है। इसका खामियाजा भी पुलिस को ही भुगतना पड़ता है। हमेशा जरुरत पडऩे के कारण पुलिस भी अस्पताल के जिम्मेदारों पर सख्ती नहीं कर पाती है। इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. अशोक पटेल ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने में समय लगता है लेकिन शॉर्ट पीएम रिपोर्ट देने में देरी नहीं करनी चाहिए। संबंधित चिकित्सा पदाधिकारी को इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है। इस संबंध में सभी को तत्परता बरतने का निर्देश दिए गए है।
मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं बन पाते समय पर
पीएम रिपोर्ट के अभाव में नगर निगम और अन्य संस्थाओं से मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में भी दिक्कतें आती हैं। दुर्घटना के केस में सैंकड़ों मामले ऐसे हैं जिन्हें पिछले कई महीनों से योजनाओं का लाभ लेने मृत्यु प्रमाण पत्र का इंतजार है।
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