नई दिल्ली । जर्मनी (Germany) का एक खुंखार तानाशाह हिटलर (Hitler) का इतिहास आपने जरूर पढ़ा होगा। कहा जाता है कि हिटलर (Hitler) यहूदियों का कट्टर दुश्मन था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इस तानाशाह की नाजी सेनाओं के द्वारा पोलैंड (Poland) में बनाए गए शिविरों में करीब 10 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई, जिसमें यहूदियों का संख्या सबसे अधिक थी। इस यातना शिविर का नाम ‘ऑस्त्विज कैंप’ (Ostavis camp) है।
ऑस्त्विज कैंप (Ostavis camp) के बाहर ही एक बड़ा सा लोहे का दरवाजा है, जिसे ‘गेट ऑफ डेथ’ (Gate of Death) यानी ‘मौत का दरवाजा’ कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बड़ी संख्या में यहूदी लोगों को रेलगाड़ियों में भेड़-बकरियों की तरह लाद कर उसी दरवाजे से यातना शिविरों में ले जाया जाता था और उसके बाद उन्हें ऐसी-ऐसी यातनाएं दी जाती थीं, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।
‘ऑस्त्विज कैंप’ (‘Ostviz Camp’) एक ऐसी जगह थी और उसे इस तरह बनाया गया था कि वहां से भाग पाना नामुमकिन था। कहते हैं कि कैंप के अंदर यहूदियों, राजनीतिक विरोधियों और समलैंगिकों से जबरन काम करवाया जाता था। इसके अलावा बूढ़े और बीमार लोगों को कैंप के अंदर बने गैस चेंबर में डालकर जिंदा जला दिया जाता था। लाखों लोगों को इन गैस चेंबरों में डालकर मार दिया गया था।
ऑस्त्विज शिविर के परिसर में ही एक दीवार है जिसे ‘वॉल ऑफ डेथ’ यानी ‘मौत की दीवार’ कहा जाता है। कहते हैं कि यहां अक्सर लोगों को बर्फ के बीच खड़ा कर गोली मार दी जाती थी। नाजियों ने ऐसे हजारों लोगों को मौत के घाट उतारा था।
साल 1947 में नाजियों के इस यातना शिविर को पोलैंड की संसद ने एक कानून पास कर सरकारी म्यूजियम में बदल दिया। कहते हैं कि म्यूजियम के अंदर करीब दो टन बाल रखे गए हैं। दरअसल, मरने से पहले नाजी यहूदी और अन्य लोगों के बाल काट लेते थे ताकि उनसे कपड़े वगैरह बनाए जा सकें। इसके अलावा कैदियों के लाखों चप्पल-जूते और अन्य सामान भी म्यूजियम में रखे हुए हैं।
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